साहित्य चक्र

07 April 2019

शीतला माता

माता की पौराणिक कथा
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 शीतला माता के संदर्भ में अनेक कथाएं प्रचलित है एक कथा के अनुसार एक दिन माता ने सोचा कि धरती पर चल कर देखें की उसकी पूजा कौन-कौन करता है ।माता एक बुढ़िया का रूप धारण कर  राजस्थान के डूंगरी गांव में  गई । माता जब  गांव में जा रही थी तभी ऊपर से किसी ने चावल का उबला हुआ पानी  डाल दिया। माता के पूरे शरीर पर  छाले हो गए और पूरे शरीर में जलन होने लगी। माता दर्द में कराहते हुए गांव में सभी से सहायता मांगी ।लेकिन किसी ने भी उनकी नही सुनी। गांव में  कुम्हार परिवार की एक महिला ने जब  देखा कि एक बुढ़िया दर्द से कराह रही है तो उसने माता को  बुलाकर घर पर बैठाया और  बहुत सारा ठंडा जल माता के ऊपर डाला। ठंडे जल से माता को उन छालो की पीड़ा में  काफी राहत महसूस हुई। फिर कुम्हारिन महिला ने माता से कहा माता मेरे पास रात के दही और राबड़ी है ,आप इनको खाये।रात के रखे दही और ज्वार की राबड़ी खा कर माता को शरीर में काफी ठंडक मिली। कुम्हारिन ने माता को कहा माता आपके बाल बिखरे है इनको गूथ देती हूं।

वो जब बाल बनाने लगी तो बालों के नीचे छुपी तीसरी आंख देख कर डर कर भागने लगी। तभी माता ने कहा बेटी  डरो मत में शीतला माता हूं और मैं धरती पर ये देखने आई थी कि मेरी पूजा कौन करता है।फिर माता असली रूप में आ गई। 

कुम्हारिन महिला शीतला माता को देख कर भाव विभोर हो गई ।उसने माता से कहा माता मैं तो बहुत गरीब हूं। आपको कहा बैठाऊ। मेरे पास तो आसन भी नही है। माता ने मुस्कुराकर कुम्हारिन के गधे पर जाकर बैठ गई। और झाडू से कुम्हारिन के घर  से सफाई कर डलिया में डाल कर उसकी गरीबी को बाहर फेंक दिया।माता ने कुम्हारिन की श्रद्धा भाव से खुश हो कर वर मांगने को कहा। कुम्हारिन ने हाथ जोड़कर कहा माता आप वर देना चाहती है तो आप हमारे डुमरी गांव में ही निवास करे और जो भी इंसान आपकी  श्रद्धा भाव से सप्तमी और अष्टमी को पूजा करे और व्रत रखे तथा आपको ठंडा व्यंजन का भोग लगाएं उसकी गरीबी भी ऐसे ही दूर करें। पूजा करने वाली महिला को अखंड शौभाग्य का आशीर्वाद दें। माता शीतला ने कहा बेटी ऐसा ही होगा और कहा कि मेरी पूजा का मुख्य अधिकार कुम्हार को ही होगा।तभी से ये परंपरा चल रही है।

डूंगरी गांव का नाम अब शील की डूंगरी नाम से प्रचलित  है।जहाँ माता शीतला का भव्य मंदिर बना हुआ है और सप्तमी पर मंदिर पर विशाल मेला लगता है। काफी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन कर मनौती मांगते है,पूरी होने पर चढ़ावा चढ़ाते है।

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                                                               ।। शम्भू पंवार ।।

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