साहित्य चक्र

07 April 2019

दानव का सर

हे माँ धरती पर प्रचंड रूप धर आ जाओ।

हो रहा अत्याचार मासूमों पर माँ,
बिलख रही किलकारी है माँ।

ले कर के खड्ग और त्रिशूल माँ,
दुष्टों के शीश भेट चढ़ा जाओ।

हे माँ प्रचंड रूप धर आ जाओ।।

तब कोख में मरती थी कन्या 
अब तो जन्म के बाद उजड़ती है ।

पैदा करने वाला बन गया भक्षक
किस से अब रक्षा की गुहार करें माँ।

ले तलवार इन पिता रूपी दानव का सर 
धड़ से अलग कर जाओ माँ।

हे माँ प्रचंड रूप धर आ जाओ।

                              संध्या चतुर्वेदी 


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