मुक्त कविता
धन्य हुई अवध पूरी,जन्मे राजा राम।
राम जन्म से बिगड़े हुए, बने सभी काम।।
राम जन्म की बधाई, मिल रही चारो ओर से।
धन्य हुई कौशल्या माई ,दे जन्म श्री राम को।
विस्मित हुई मात जब दर्शन दिए विराट रूप केे।
कर जोड़ किया विनय ,ले लो अवतार पुनः निज स्वरूप में।
आतंक से भयभीत सभी मुनि वशिष्ट के प्राँगण में।
पहुँचे कर जोर आज लेने श्री राम को।
राजा जनक के उत्सव में हुई राजाओ की भीड़।
रावण से ले कर सभी प्रतापी धीर।
उठा सके ना धनुष को कोई भी एक क्षण।
प्रत्यंचा चढ़ा कर जीता सीते का साथ।
हाय विडंबना की राज तिलक दिवस को मिला चौदह वर्ष वनवास।
वर्ष बिताये चौदह ,किया असुर का नाश।
रावण को मार कर हल्का किया भूमि का भार।।
लौटे सिय के साथ रघुनंदन खत्म हुआ जब वनवास।
अवधवासियों को प्रभु मिलन की आस।।
संध्या चतुर्वेदी
No comments:
Post a Comment