साहित्य चक्र

07 April 2019

मैं...!

मैं क्या हूँ?

मैं क्या हूँ, मैं आसमाँ हूँ।
बरसूँगा तो पूजा जाऊंगा,
नही तो कोसा जाऊँगा।।

मैं क्या हूँ, मैं एक पौधा हूँ।
फल दूँगा तो इज्जत पाऊँगा,
नही तो बस काटा जाऊँगा।।

मैं क्या हूँ, मैं एक नैया हूँ।
पार लगाऊंगा तो सम्मान पाऊंगा,
नही तो किनारे किया जाऊँगा।।

मैं क्या हूँ, मैं रोटी का बचा टुकड़ा हैं।
भूखे की भूख को तो मै मिटाऊंगा,
भूख मिट गई तो यूँही फैंका जाऊँगा।।

मैं क्या हूँ, मैं उम्र ढलता एक इंसान हूँ।
धन है पास तो सबका प्यारा कहलाऊँगा,
वरना बस एक किनारे कर दिया जाऊँगा।।

मैं क्या हूँ,मैं सागर हूँ जो ना पहचाना गया।
मथा गया,अमृत आया तो काम आऊँगा,
विष आया,तो भी शिव को पाऊँगा।।


                                                   नीरज त्यागी


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