गीत
हर दिशा में बेटियों ने राष्ट्र ध्वज को लहरा दिया
वसुधा से आसमां तक कदम निज का बढ़ा दिया
शिव की शक्ति बन सदा नारी ही कालिका है बनी
संघार के चंड मुंड को रक्तबीज का काल है बनी
अंबिका वो चंडिका वो नारी का हर है रूप बड़ा
सृष्टि की निर्माता है वो उस पे ही ब्रह्मांड है खड़ा
नारी बिन है अधूरा नर वक्त को ये बतला दिया
हर दिशा में बेटियों ने राष्ट्र ध्वज को लहरा दिया
आदि भी वो अंत भी वो सब ने स्वीकार ये किया
पन्ना बन त्याग किया तो लक्ष्मी बन संघार है किया
उड़ गयी वो तोड़ के अब गुलमी की जंजीर को
लिखा है उसने निज कर्म को बदला है तकदीर को
अबला नही है सबला बनी वो दुर्गा का अवतार है
माँ की ममता के रूप में वो बहन का भी दुलार है
वक्त के साथ नारियों ने हर रूप को दिखला दिया
हर दिशा में बेटियों ने राष्ट्र ध्वज को लहरा दिया
जिंदगी का आधार बेटियां तो राष्ट्र की भी शान है
दो घरों को भी रोशन करे वो घर का रोशनदान है
जान है वो शान है वो स्वाभिमान की पहचान है
नारियों का सम्मान यहाँ तभी तो भारत महान है
जी रही वो शान से निज जिंदगी को अब यहाँ
है नही अब बोझ बेटी सबको ये मित्र बतला दिया
हर दिशा में बेटियों ने राष्ट्र ध्वज को लहरा दिया
।। सूर्या श्रीवास्तव।।
No comments:
Post a Comment