साहित्य चक्र

27 April 2019

।। पहन कर श्वेत वस्त्र ।।

( गौतमबुद्ध )


  रात अँधेरे 
  छोड़कर
  राज-पाट सुख अपार
  पहन कर श्वेत वस्त्र
  नींद से बेसुध
  पत्नी,पुत्र अबोध को
  क्षण,भर भी न देखा
  मोहमाया से नाता तोड़ा
  निकल पड़े नंगे पाँव 
  महलों के राजकुमार
  जानने जीवन का सार
  भूखे,प्यासे घूमे
  जंगल ,गाँव 
  नगर मैदान
  कर के वट के नीचे तप
  बोध को पाया
  रोग,वृद्धत्व,मौत
  ये जीवन के अध्याय
  कर लो मानव 
  तुम स्वीकार
  मृत्यु है जन्म के साथ
  मध्यम मार्ग अपनाया
  अष्टांग मार्ग का
  पाठ पढ़ाया
  विश्व में बौद्ध धर्म फैलाया
  सिद्धार्थ ने भगवान
  गौतम बुद्ध बनकर
  "बोधिसत्व" पाया


                                   डॉ रचना सिंह "रश्मि"


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