साहित्य चक्र

20 July 2023

फलों का राजा राष्ट्रीय फल 'आम'


भारतीय उपमहाद्वीप में कई हजार वर्ष पूर्व आम के बारे में लोगों को पता चल गया था। और आमों के  पेड़ लगाए जाने लगे थे, चौथी से पाँचवीं शताब्दी पूर्व ही यह एशिया के दक्षिण पूर्व तक पहुँच गया। 




आम खून बढ़ाता है और पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है। दिलचस्प बात यह है कि गर्मियों का फ़ल होने के बावजूद यह गर्मियों में होने वाली बीमारियों से हमारी  हिफ़ाज़त  करता  है।  कैसी यानी कच्चे आम यकी सब्जी का इस्तेमाल भी लोग अच्छे तरीके से करते हैं.  कैरी  की सिरप ली  से बचाता है। जिसे हम  पना भी कहते हैं,   साथ ही इसके बेमिसाल स्वाद से कौन परिचित नहीं है.  स्वादिष्ट और कुरकुरे अचार महिलाओं द्वारा घरों में व्यापक रूप से बनाए जाते हैं और जार में रखे जाते हैं और इस भोजन के साथ प्रयोग किए जाते हैं।  और आम का अधिक से अधिक सेवन व्यक्ति को बढ़ती उम्र से बचाता है।  अस्थमा से बचाव करता है।  कैंसर को रोकने में मदद करता है।  यह हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है।यह पाचन तंत्र के लिए उपयोगी है।  यह हृदय स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है।  यह हृदय स्वास्थ्य और संक्रमण के खिलाफ भी प्रभावी है। आम का अधिक से अधिक सेवन मानव को वृद्ध होने से रोकता है।   

 कैंसर को रोकने में मदद करता है।  हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी, पाचन तंत्र के लिए आवश्यक।  यह हृदय स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है।  यह हृदय स्वास्थ्य और संक्रमण के खिलाफ भी प्रभावी है।   इस प्रकार अनेक कवियों ने भी अपनी कविताओं में आम का उल्लेख किया  है ।आम का पौधा वास्तव में छह महीने या एक साल में नहीं बल्कि लगभग पांच साल बाद फल देने लगता है।  इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन पांच सालों में इस प्लांट को कितना मेंटेनेंस करना होगा।  लेकिन इस सब्र का फल बहुत मीठा होता है।  देई, कतर, अबू धाबी, कुवैत, आन और सऊदी अरब जैसे खाड़ी देशों में हमारे  भारतीय  आमों की काफी मांग है।   जब आमों में  मोर  ​​आते हैं तो ये निर्यातक और आयातक आम के बागों के मालिकों से संपर्क कर प्रति एकड़ लाखों रुपए अग्रिम देते हैं, इस प्रकार आम भी नकदी फसल है।।  क्योंकि  भारा मात्रा  में विदेशों को भेजा जाता है।  इसलिए, इसकी मानक पैकेजिंग की जाती है,  आम  संस्कृत शब्द आम वास्तव में संस्कृत शब्द आम्र  से लिया गया है।  साहित्य में इसका उल्लेख तानाशाह के नाम से मिलता है और यह 4000 वर्षों से अस्तित्व में है।  

अंग्रेजी में मैंगो भारतीय तमिल शब्द मंगई से आया है । पंद्रहवीं और सोलहवीं शताब्दी के बीच, स्पेनिश जहाज फिलीपींस से मेक्सिको में आम की गुठली लाते थे।  इस प्रकार, मनीला से लेकर फ़्लोरिडा और वेस्ट इंडीज़ तक प्रशांत क्षेत्र में हर स्पेनिश उपनिवेश में आम आम हो गए, और फिर।  अटलांटिक महासागर को पार करते हुए यह स्पेन (ग्रेनेडा और कैनरी द्वीप समूह) और पुर्तगाल तक पहुँच गया।  मालाबार के तट से आम का पौधा पुर्तगाली और अरब जहाजों में पूर्वी अफ्रीका पहुंचा।  इब्न बतूता ने सोमालिया के मोगादिशु में आम (आम का पुर्तगाली नाम) खाने का आनंद लिया और इसका उल्लेख किया।  हिंदू धर्म में पत्ते से लेकर छांव तक हर चरण में आम का महत्व है।  आम के पेड़ का उल्लेख कई जगहों पर कल्पवक्रश यानी हर मनोकामना को पूरा करने वाले पेड़ के रूप में किया गया है।इस पेड़ की छाया के अलावा कई धार्मिक मान्यताएं इसके साथ जुड़ी हुई हैं जैसे राधाकृष्ण का नृत्य, शिव और पार्वती का विवाह आदि।  भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर को भी आम बहुत पसंद थे और उन्होंने आम पर एक कविता भी लिखी थी।  ग़ालिब और आम उर्दू के महान शायर ग़ालिब के आम के आकर्षण से कौन परिचित नहीं है।  

 पुरानी कथाओं के मुताबिक, पहला आम का पेड़ इंडो बर्मा रीजन में करीब एक हज़ार साल पहले उगा था ।एक  चीनी यात्री सिएन - त्सांग 632 एडी में जब पहली बार भारत आया था, तब उसने आम ( संस्कृत में आम्र ) के बारे में पूरी दुनिया को बताया था। इतना ही नहीं , मुगल बादशाह अकबर ने दरबंघा के बगीचे में करीब एक लाख आम के पेड़ लगवाये थे, जिसका ज़िक्र 'आईना ए  - ए अकबरी' ( 1590 ) में भी है। अलाउद्दीन खिलजी आम के पहले खरीदार थे और सिवामा किले में उनके द्वारा आयोजित की गई आम की भव्य दावत काफी प्रसिद्ध हुई। इस दावत के मेन्यु में केवल आम से बने तरह - तरह के व्यंजन थे । इतना ही नहीं , मुगल बादशाह बहादुर शाहज़फर भी आम के दीवाने थे और उन्होंने दिल्ली के लाल किले के अंदर आम के  कई पौधे  लगना थे ।महात्मा कालिदास जी ने इसका गुणगान किया है, सिकंदर ने इसे सराहा और मुग़ल सम्राट अकबर ने दरभंगा में इसके एक लाख पौधे लगाए। उस बाग़ को आज भी लाखी बाग़ के नाम से जाना जाता है। वेदों में आम को विलास का प्रतीक कहा गया है। कविताओं में इसका ज़िक्र हुआ और कलाकारों ने इसे अपने कैनवास पर उतारा। भारत में गर्मियों के आरंभ से ही आम पकने का इंतज़ार होने लगता है। आँकड़ों के मुताबिक इस समय भारत में प्रतिवर्ष एक करोड़ टन आम पैदा होता है जो दुनिया के कुल उत्पादन का ५२ प्रतिशत है। आम भारत का राष्ट्रीय फल भी है।


                                     - डॉ. मुश्ताक अहमद 


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