साहित्य चक्र

12 July 2023

कविताः तेरे शहर में



जितने रसूखदार हैं तेरे शहर में।
सब खबरदार हैं तेरे शहर में।।

जो हमने रखा कदम तेरी गली में,
जुड़ गये सबके तार तेरे शहर में।।

मैं खाली लौट जाऊंगा अपने गाँव,
फिर भी रहूँगा उधार तेरे शहर में।।

बेंच दे तू भले सौदा नगद समझकर,
नहीं करना ऐसा व्यापार तेरे शहर में।।

लाख मुसीबत हो पर टूटेगीं बंदिशे,
गिरवी हैं मेरा प्यार तेरे शहर में।।

भटक भटक कर बैठ गये हैं इक जगह,
आदमी हूँ, नहीं अययार तेरे शहर में।।

ताजी हवा का झोंका लेकर चले आये,
विकास फिर भी कैसा खुमार तेरे शहर में?


             - राधेश विकास


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