सतारा के गरीब परिवार में
जन्मे ज्योतिबा,
जीवन यापन के लिए
पिता जी बगीचों में माली का
काम करते थे,
एक बर्ष की उम्र ही
मां का आंचल छूट गया,
दाई सगूनाबाई ने जब
मां का दुलार दिया ।
विद्यालय में
पढ़ाई के दौरान
जात पात, भेदभाव
का अपमान सहा,
भेदभाव के कारण
विद्यालय छोड़ना पड़ गया,
घर पर ही शिक्षा पाकर
शिक्षक जब तुम बन गए ।
विधवा, महिलाओं के
कल्याण के लिए अनेक कदम उठाए,
महिलाओं की दशा सुधारने के लिए
खुद एक स्कूल खोला,
महिलाओं को शिक्षित
करने के लिए,
शिक्षक ना मिलने पर
पत्नी को शिक्षित किया,
देश की पहली
महिला अध्यापिका बनाया,
और महिलाओं को शिक्षित करने
माता सावित्री बाई निकल पड़ी,
हर क्षेत्र में आपने
अनेक महान कार्य किए ।
गुलाम गिरी पुस्तक लिख
आपने बहुजनों को
गुलामी का इतिहास बताया ।
कर्म कांड को लात मार
मानवता का पाठ पढ़ाया,
बहुजन समाज की
ज्योति बन
समाज को एक नई दिशा दी ।
*****
- नीरज सिंह कर्दम
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