हर बात में हँस लेना,
वो हर हार में जीत ढूंढ लेना,
बहुत याद आयेगा जब यह
बचपन का दौर गुज़र जायेगा।
दोस्तों के साथ हर दिन मज़ा करना
वो यूं ही बस बचपने में लड़ना
भूख लगने पर क्लास में लंच करना
बहुत याद आयेगा जब यह
बचपन का दौर गुज़र जायेगा।
एक्जाम का डर, पिकनिक का मज़ा
ज़ोर से बात करने पर मिलने वाली सज़ा
बहुत याद आयेगा जब यह
बचपन का दौर गुज़र जायेगा।
हम तो बड़े हो जायेंगे पर हमारा बचपन ,
इसी स्कूल की दीवारों में ठहर जायेगा।
कभी लगता, कब तक स्कूल है जाना,
भगवान एक छुट्टी तो कर दो...
अब खलता है स्कूल से जाना,
भगवान ये छुट्टियां कम कर दो।
अरे कौन कहता है समय रुकता नही!
हम में से हर कोई यहां से चला जायेगा,
पर बचपन का हर पल
इसी स्कूल में ही ठहर जायेगा,
वो टीचर्स का प्यार,वो मेरे प्यारे यार!
ना जाने कहां मिलेंगे दुबारा।
कुछ न छूट कर भी इस स्कूल में...
तो मेरा बचपन छूट गया सारा।
लेखिका- सृष्टि सिंह
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