साहित्य चक्र

25 July 2022

लेखः भारत को नशा मुक्त बनना, स्वप्न या संकल्प

आज के समय में नशा एक ऐसी समस्या हे जो इंसान के अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार बन जाता हे यानि कि आज युवा वर्ग बहुत जहरीले और नशीले प्रदार्थो के सेवन से इंसान के शारीरक , मानसिक और आर्थिक हानि पहुँचती हे उनके साथ - साथ सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है। 





"माप प्रतिष्ठा का बना, जर्दा गुटखा पान।
युवावर्ग गुमराह है, तनिक न उसको भान॥"


जिसके कारण आए दिन दुर्घटनाएं, पारिवारिक कलह, गरीबी, मानसिक परेशानी, शोषण, बलात्कार, भयंकर बीमारियां होती रहती है। वर्तमान में युवा पीढ़ी को  इसकी लत बहुत अधिक लग चुकी है जिसके कारण कई युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो गया है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक  नशे का सेवन करने से प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक लोगों की रोड दुर्घटना में मौत हो जाती हैं। लगभग 30,000 लोग कैंसर से पीड़ित हो जाते हैं और नशे का अत्यधिक सेवन करने के कारण 1.4 लाख से अधिक मृत्यु हो जाती है।

यह आंकड़ा प्रतिवर्ष बढ़ता ही जा रहा है। सरकार द्वारा नशे को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन वह काफी नहीं है। इसी कारण आज का युवा नशे की जकड़ में आता जा रहा है जो कि  हमारी संस्कृति और देश के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है।

 भारत में नशाखोरी एक बड़ी समस्या बन चुकी हे लोग कई कारणों पर नशा करते हे। नशीले पदार्थो का सेवन करके हम स्वय के दुश्मन बन रहे हे यदि इंसान के पास पर्याप्त धन हो तो उसे नशीले पदार्थो के सेवन में व्यर्थ करने की बजाय अपने बच्यो की शिक्षा तथा आर्थिक विकास पर लगाना चाहिए। ज्यादातर लोग अपनी कमाई का अधिकतर भाग नशे में ही खर्च कर देते हे। नशे कई बीमारिया घर में आती। दुनिया में नशाखोरी एक बड़ी समस्या बन चुकी हे। कई लोग जीवन का तनाव और विफलताएं से पीछा छुड़ाने के लिए नशा करते हे। जिसका परिणाम मौत हे। ह्दय की पवित्रता और विचारो की शुद्धता के लिए नशा मुक्ति बेहद जरुरी हे। नशीले पदार्थ का सेवन करके हम स्वय के दुश्मन बन रहे हे। न केवल शहर के लोग ही नशे के आदि हे बल्कि ग्रमीण भी नशे के आदि हे देशी शराब के साथ साथ पान, बीड़ी की भी मांग बढ़ रही हे।  


भारत में शराब और सिगरेट के निर्यात की वजह से करोड़ो रुपये मिलते है। लेकिन फिर भी सिगरेट के पैकेट्स पर ” नो स्मोकिंग ” लिखा रहता है। फिर भी लड़की और लड़के इसका भरपूर सेवन करते है। धूम्रपान या शराब का सेवन स्वस्थ के लिए हानिकारक होता है। यह जानकार भी लोग इसका सेवन करने से बाज़ नहीं आते। तम्बाकू और और गुटखा से माउथ कैंसर हो सकता है। कई सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करना मना होता है। 

नशे से मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर बुरा असर पड़ता है। कुछ लोग नशा करके घर पर आकर अपनी पत्नी से मार- पीठ करते है। यह घिनौना अपराध है। नशा करके सड़क पर गाड़ी चलने से दुर्घटना हो सकती है और होती भी है। कम उम्र में नशा करने से आगे चलकर जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इससे परिवार में अशांति का निवास रहता है। नशा करने वाला व्यक्ति के पास आर्थिक तंगी हो जाती है। नशे की लत के कारण व्यक्ति अपनी आर्थिक सम्पति लुटा देता है, नशा करके समाज और कार्य स्थल पर तमाशे करता है जिससे उसकी इज़्ज़त पर आघात हो जाता है।


नशा मुक्ति भारतीय समाज की एक विडम्बना है। निम्न स्तर के लोग अक्सर अपने दैनिक काम के पैसे शराब पीने में लगा देते है। अगर वह पैसे अपने बच्चो की शिक्षा में इस्तेमाल करें तो उनका भविष्य उज्जवल हो सकता है। दुखद रूप से ऐसा कदापि नहीं होता, दो पल के सुख और मज़े के लिए इंसान अपना सब कुछ गवां देता है।  इसके दुष्परिणाम इंसान को ही झेलने पड़ते है।


नशे की शुरुआत पहले मज़े और मित्रों के साथ जश्न से होती है। धीरे – धीरे इंसान नशे की अन्धकार जाल में फंसता चला जाता है और अंततः उससे कभी निकल नहीं पता। वह अपने जीवन के सारे लक्ष्य को भूलकर एक नशे के जीवन की तरफ अग्रसर हो जाता है। नशे के कारण इंसान सही और गलत का फर्क भूल जाता है और अपने परिवार से मानसिक और जज़्बाती तौर पर कोसों दूर चला जाता है। जो लोग नशे की लत में पड़ जाते है, उन्हें लगता है की नशा करके उनके सारे दुखों पर पूर्णविराम लग जायेगा। लेकिन वास्तविक में यह सोच अत्यंत गलत है। लोग अपने दुखो को भुलाने के लिए शराब का सहारा लेते है जिसमे न उनका भला होता है न परिवार का न समाज का। अत्यधिक शराब के सेवन से इंसान का लिवर ख़राब हो सकता है और सिगरेट, तम्बाकू से कैंसर जैसी भयानक बीमारियां उत्पन्न होता है। ज़िन्दगी में मनुष्य को खुशियां और ज्ञान बाटना चाहिए न की नशा।  कई तरह के ड्रग्स इंसान को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से कंगाल बना देता है। अभी कई तरह के नशा मुक्ति सेंटर है जो नशे से पीड़ित लोगों का चिकित्सा करते है। 

कई लोग इन नशा मुक्ति सेंटर में आकर नशे की लत का त्याग कर चुके है जो काफी अच्छी बात है। डॉक्टर्स मरीज़ को नशा जैसे शराब और सिगरेट से आजीवन दूर रहने की सलाह देते है। लोगों को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना होगा ताकि वह नशे जैसी चीज़ों से बाहर निकलकर अपने लिए और अपनों के लिए एक नए भविष्य का निर्माण कर सके।


भारतीय सरकार ने नशा मुक्ति से राहत पाने के लिए कई नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की है। जो व्यक्ति अवैध रूप से नशे की तश्करी या नशीले पदार्थ बेचते हुए पाया गया उसे जेल हो सकती है और उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। ज़िन्दगी सिगरेट के धुएं से नहीं बल्कि अच्छे सुविचारों, सुशिक्षा और स्वंय नियंत्रण से चलती है। नशा किसी भी मनुष्य की ज़िन्दगी को तबाह करने में सक्षम है। मनुष्य को खुद पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है। इस आज़ाद भारत को नशे की ज़ंजीरें बाँध नहीं सकती।


नशा मुक्ति के कई काउंसलिंग सेंटर है जो नशे की लत छुड़वाने में प्रसंशनीय कार्य कर रहे है। ज़िन्दगी से हारकर नशे की लत में पड़ने वाले इंसान को ज़िन्दगी की खूबसूरती से अवगत करवाते है। उन्हें यह समझते है ज़िन्दगी के दुखों, परेशानियों से भागकर कुछ हासिल नहीं होता है। ज़िन्दगी के चुनौतियों से भागकर नशे जैसी चीज़ों का सहारा लेने वाला इंसान को किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती। देश में खुशहाली लाने के लिए नशे पर प्रतिबन्ध लगाना आवश्यक है। सामाजिक और युवा पीढ़ी में जागरूकता अत्यंत अनिवार्य है तभी देश प्रगतिशील होगा। देश और देशवाशियों के हित के लिए नशे को जड़ से उखाड़ना होगा तभी देश का भविष्य उज्जवल होगा।


                                                   लेखिका- डॉ.सारिका ठाकुर "जागृति"


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