आंबेडकर और सावरकर को लेकर हमें सिर्फ एक ही छवि दिखाने की कोशिश की गई है। आंबेडकर को लेकर हमें सिर्फ यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि अंबेडकर ने सिर्फ सविधान बनाकर आरक्षण दिया। मगर आंबेडकर ने सिर्फ इतना ही नहीं किया है बल्कि और भी कई ऐसे कार्य किए हैं जिसे लेकर हम सभी को गर्व करना चाहिए। इसे एक साजिश ही कहेंगे कि आंबेडकर को सिर्फ दलितों के नेता तक ही सीमित कर दिया गया। आखिर इन साजिशों के पीछे कौन लोग थे ?
भारतीय महिलाओं को क्यों नहीं पता है कि स्वतंत्रता से पहले इस देश में उन्हें पढ़ने का अधिकार नहीं था ? जितने भी भारतीय नौकरी करते हैं, उन्हें पता क्यों नहीं है कि पहले 14-16 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती थी ? हमें यह पता क्यों नहीं हैं कि आंबेडकर ने महिलाओं को बराबरी के अधिकार देने के लिए कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था ? हमें यह क्यों नहीं पढ़ाया गया कि डॉक्टर आंबेडकर पहले भारतीय हैं जिन्होंने इंग्लैंड के लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की ? हमें यह क्यों नहीं पढ़ाया गया कि डॉक्टर अंबेडकर की पुस्तक 'रुपये की समस्या' के आधार पर आरबीआई की स्थापना की गई ? हमें यह क्यों नहीं पढ़ाया गया कि गांधी के नमक सत्याग्रह से पहले डॉक्टर आंबेडकर ने महाड़ तालाब सत्याग्रह कर चुके थे ? जबकि यह दोनों प्रतीकात्मक सत्याग्रह थे। हमें यह क्यों नहीं पढ़ाया गया आंबेडकर के पास अपने समय में दुनिया की सबसे बड़ी व्यक्तिगत पुस्तकालय थी और आंबेडकर ने सबसे अधिक किताबें पढ़ी थी। हमें यह क्यों नहीं पढ़ाया गया डॉक्टर आंबेडकर अपने समय में भारत के सबसे अधिक पढ़े लिखे थे ? हमें यह क्यों नहीं पढ़ाया गया कि आंबेडकर के पास भारत में सबसे अधिक डिग्रियां थी ?
सावरकर को लेकर हम सभी को सिर्फ इतना ही क्यों बताया गया कि सावरकर ने अंग्रेज सरकार को सिर्फ माफीनामे ही लिखे हैं। हमें यह क्यों नहीं बताया गया कि सावरकर अपने समय के एक अच्छे वक्ता और लेखक थे ? हमें यह क्यों नहीं बताया गया कि 1857 के विद्रोह को सर्वप्रथम सावरकर ने ही प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नाम दिया था और 1857 के विद्रोह पर सर्वप्रथम किताब लिखी थी ? हमें यह क्यों नहीं बताया गया कि सावरकर ने हिंदू धर्म में सुधार की बात कही थी ? हमें यह क्यों नहीं बताया गया कि सावरकर एक अच्छे कवि भी थे ? हमें यह क्यों नहीं बताया गया कि सावरकर बचपन से ही क्रांतिकारी थे ? हमें यह क्यों नहीं बताया गया कि सावरकर एक नाटककार भी थे ? हमें यह क्यों नहीं पढ़ाया गया कि सावरकर को दो-दो बार आजीवन कारावास की सजा दी गई थी जो इतिहास में पहली बार हुआ था ? हमें यह क्यों नहीं पढ़ाया गया कि सावरकर ने जेल में हिंदुत्व जैसे किताब लिखी थी ? हमें यह क्यों नहीं बताया गया कि मुंबई में पतित पावन मंदिर की स्थापना सावरकर ने की थी ? हमें यह क्यों नहीं बताया गया कि 25 फरवरी 1931 को मुंबई प्रेसिडेंसी में अस्पृश्यता उन्मूलन सम्मेलन की अध्यक्षता सावरकर ने की थी ? हमें यह क्यों नहीं पढ़ाया गया कि 1908 में द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस पुस्तक सावरकर ने लिखी थी ? हमें यह क्यों नहीं पढ़ाया गया कि 1904 में अभिनव भारत नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना सावरकर ने की थी ?
ऐसा तो नहीं कि आंबेडकर और सावरकर को सिर्फ सीमित करने की कोशिश की गई ? सावरकर और आंबेडकर के बारे में विस्तार से किताबों और विश्वविद्यालय में पढ़ाने से किसे खतरा था ? कही सावरकर और आंबेडकर से किसी विचारधारा को खतरा था ? इन सब के लिए जिम्मेदार कौन ?
लेखक- दीपक कोहली
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