नहीं किसी प्रतिष्ठा के जो मोहताज
बने ओड़िशा के सरताज ,
जिन्हें कोसिलि भाषा हे प्यार
ऐसे हैं हलधर नाग
मुँह ज़बानी याद सारी रचनाएँ
जिनमें समावेश लौकिकता का
समाज की जो कहे कहानी
जिसने कभी भी हार ना मानी
ऐसे हैं हम सबके हलधर नाग
शोधार्थियों का विषय बनी हैं
इनकी पाँच रचनाएँ।
रचनाओं पर शोध हैं जारी,
तीसरी कक्षा तक की हुई पढ़ाई
आज जो सबपे पड़ी हे भारी
ऐसे हैं हलधर नाग।
जनमानस के लोक कवि कहलाये
आस पास के ही विषय उठाए
समाज के हित में हे जो जारी
ऐसे हे हम सबके प्यारे कवि हलधर नाग।
लेखिका- अर्चना मिश्रा
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