साहित्य चक्र

19 July 2022

लेख- किशोर अपराध


किशोर उम्र एक कच्ची मिट्टी की तरह होती है और यदि थोड़ा सा भी ध्यान न दिया जाए तो इस उम्र के बच्चे अपनी जीवन राह से भटक जाते हैं, और अपराध करने की ओर गलत संगत का शिकार हो जाते हैं। किशोर अपराध को रोकने के लिए सर्वप्रथम किशोर बच्चों के मां बाप को चाहिए कि वो अपने बच्चों से मित्रवत व्यवहार करें। यदि वह ऐसा करते हैं तो अवश्य ही बच्चे अपराध की ओर न बढ़कर एक सही दिशा में अपने कदम बढ़ाएंगे।





कभी किशोर बच्चों के मां बाप को लगे कि उनका बच्चा कुछ अलग सा व्यवहार कर रहा है या गुमसुम सा है तो प्यार से बच्चों से जानने की कोशिश करें और उनकी समस्या का समाधान करने में उनकी मदद करें। तो हम किशोर बच्चों को अपराध की ओर बढ़ने से रोक सकते हैं। किशोर बच्चों के मां बाप अपने बच्चों से मित्रवत व्यवहार करें और उन्हें जीवन में सही राह दिखाने में उनके सहायक बने। किशोर भावी देश के कर्णधार है उन्हें सही दिशा की ओर बढाना होगा तभी वो हमारे देश के विकास में सहायक होंगे। उन्हें भटकने से बचाना होगा तभी वह अपराध में लिप्त होने से बच सकेंगे।

यही उम्र होती है बच्चों की तब वो अपने कैरियर की ओर अपने कदम बढ़ाते हैं, इस उम्र में इनके मां बाप को इनका विशेष ख्याल रखना चाहिए यह उम्र विपरीत लिंग की ओर आकर्षित होने की भी होती है, ये उम्र बच्चों में मानसिक और शारीरिक बदलाव की भी होती है। इस उम्र में यदि बच्चे ने सही दिशा पकड़ ली तो निश्चित रूप से वो एक कामयाब इंसान बनेगा, और अगर गलत राह पकड़ ली तो उसे अपराधी बनने से कोई नहीं रोक सकता इसलिए मेरी सभी मां बाप से अपील है कि इस उम्र में बच्चों का विशेष ध्यान रखें और उन्हें एक सही दिशा की ओर बढ़ने में उनके सहायक बने।


इस लेख का पुरा सारांश मेरी निम्न पक्तियों में इस प्रकार है।

किशोर उम्र बच्चो की होती है पाकीजा।
जरा ध्यान न दिया तो बुरा होता है नतीजा।
रोक सकते हैं इस उम्र में बागी बनने से हम उन्हें।
बन मित्र, सुनो उनकी फिर रखो स्नेह के तरकश में उन्हें।


लेखिका- डॉ. दीपा कोहली "दीप"


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