लाल किले की चोटी पर, तिरंगा झंडा लहराता है।
बिछड़ गए जो साथी हमसे, उनकी याद दिलाता है।।
कहां गए भगत सिंह, सुखदेव, रादगुरु जो आजादी के मतवाले थे।
कहां गई दुर्गा लक्ष्मी, जो शत्रु रक्त की प्यासी थी।
कहां गए शिव-प्रताप-गोविंद, जिसने जीवन का पथ दिखलाया था।
देश धर्म की बलि वेदी पर, भेंट चढ़ाकर हो गए अमर।
बता गए तुम ही रक्षक, तुम ही मेरी आशा हो।
लाल किले की चोटी पर, तिरंगा झंडा लहराता है।।2।।
।।जय हिंद जय भारत।।
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