सर्दी का मौसम हो और उत्तर भारत में शीत लहर ना हो। क्या यह संभव है ? बिल्कुल नहीं...! हर साल की तरह सर्दी अपने मुकाम पर है। सर्द हवाएं, बर्फबारी, बारिश से
जनजीवन जहां अस्त-व्यस्त है। तो वहीं उत्तर भारत शीत लहर से पूरा जकड़ा हुआ है।
मौसम विभाग लगातार उत्तर भारत के हालातों पर नजर बनाया हुआ है। हर दिन लोगों को
परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रोजमर्रा के काम में कठिनाइयों का दौर
लगातार बढ़ रहा है। प्रकृति की इस मार में गरीब जनता पर खूब असर पड़ा है।
उत्तराखंड, हिमाचल, यूपी सहित जम्मू-कश्मीर ठंड की चपेट में है। जिससे मैदानी
इलाकों में पारा शून्य से नीचे चल रहा है। जबकि पहाड़ी इलाकों में पश्चिमी हवाओं
की शीतलहर जारी है। पहाड़ियां बर्फ की चादर से लिपटी हुई है। कोहरे के चलते
यातायात सुविधा भी प्रभावित चल रही है। परिवहन विभाग को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा
है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है। अस्पतालों में
लगातार मरीजों की भीड़ बढ़ रही है। जो एक चिंता का विषय बना हुआ है। वैसे आपको बता
दें, इस बार सर्दी ने कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है। माना जा रहा है, सर्दी का कहर
होली तक बना रहेंगा। ऐसा लग रहा है। मौसम सब कुछ बदल रहा है। जहां अक्टूबर-नंवबर
में पंखे चलते है। तो वहीं दिसंबर में हांड़ कंपा ठंड पड़ती है। पहाड़ें में बर्फ गिरने का समय बदल चुका है।
मौसम के बदलते इस चक्र में भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है। जो
मानुष प्रजाति के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा है। सर्दी तो हर साल आएगी और
अपना असर भी दिखाएगीं। ऐसे में सवाल पैदा होते है। आखिर सर्दियों की समस्याओं से
कैसे पार पाया जा सकता है। जिसका हम हर साल सामना करते है। वैसे सर्दी के इस मौसम
को सही माना जाता है। क्योंकि इस मौसम में बीमारियां बहुत ही कम फैलती है। सर्दी
के इस प्रकोप से लड़ने के लिए हमें पर्यावरण व प्रकृति के मापदंडों को समझना होगा।
क्योंकि लगातार प्रकृति से छेड़छाड़ की जा रही है। अब इंसान को समझना होगा आखिर
मौसम क्यों लगातार अपना मिजाज बदल रहा है। क्या यह हमारे लिए कोई संकेत तो नहीं है..?
संपादन- दीपक कोहली
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