हे हंस वाहिनी, ज्ञान दायिनी, अंब विमल मति दें।
अंब विमल मति दें।।
जग सिर मौर बनाए भारत
वह बल विक्रम दे, वह बल विक्रम दें।।
हे हंस वाहिनी...।।2।।
साहसशील हृदय मेें भर दें।
जीवन त्याग तपोमय कर दें।।
संजय, सत्य, स्नेह कार वर दें।
स्वाभिमान भर दें, स्वाभिमान भर दें।।
हे हंस वाहिनी...।।2।।
लव-कुश, ध्रुव, प्रहलाद बने हम।
मानवता का त्रास हरे हम।।
सीता, सावित्री, दुर्गा मां,
फिर घर-घर भर दें।
फिर घर-घर भर दें।।
हे हंस वाहिनी...।।2।।
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