साहित्य चक्र

16 February 2019

घाटी नर्क बनाकर

 
             दिल्ली बैठी पहन चूडियाँ 
                 किन्नर रोना रोती है।

      सिंहों के जिस्म कुत्ते नोच-नोच खाते 
शौर्य-वीरता के सम्मुख दीवार बना कानून 
राजनीति बंदूकों के मुख ताले लगवाती है।

                 देखो कैसे स्वार्थवश 
       दिल्ली विषधरों को दूध पिलाती है 
   मेरे देश के वीर जवानों को डसवाती है।

            संसद घिघियाना बंद करे 
     दुश्मन की छाती पर चढ़ हुंकार भरे 
        भारत माँ करुण स्वर सुनाती है।

अब नरभक्षी जल्लादों को फूल नहीं गोली दो 
    जो मांग रहे आजादी उनको आजादी दो 
                सिंहासन चुप्पी तोडो -
ये चुप्पी ही वीरों को चिथड़े-चिथड़े करवाती है।


                                    - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 


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