साहित्य चक्र

16 February 2019

सूर्य नमस्कार




1-     मेरी उदासी की वजह तो बहुत है। मगर मेरा बेवजह खुश रहना, मुझे एक अलग एहसास देता है।

2-     मेरे प्रभु जब तेरा नाम मेरे जुबां पर आता है। पता नहीं क्यों मेरा दिल मुस्कुराता है।

3-     मेरी निवेदन

मैं दीपक कोहली आप सभी से निवेदन करता हूं। आप हमारे इस पोस्ट को कम से कम 5 लोगों को  शेयर जरूर करें।

4-     पहले खुद को बदलो। देश अपने आप बदल जाएगा।

5-     संसार में मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है। जो दांतों से नहीं बल्कि अपने शब्दों से डंक देता है।

6-     समय-सेहत-संबंधआपका परिचय देती है।


7-     मेरी कविता मेरे शब्दों का जाल नहीं।
मेरी कविता मेरी पवित्र माला है।।
मेरी कविता मेरी प्यास नहीं,
मेरी कविता मेरा विश्वास है।।

मेरी कविता मेरी सोच नहीं,
मेरी कविता मेरा अहसास है।।
मेरी कविता मेरी जीत नहीं,
मेरी कविता मेरी हार हैं।

8-     अगर आप प्रेम की पराकाष्ठा तक पहुंचते हैं। तो आप एक भक्त बन जाते है।

9-     मेरे लफ्ज मेरी पहचान बन जाए। मेरी औकात मेरी जान बन जाए।

10-  बस अपनों का दिल जीतने का मकसद रखों। दुनिया तो सिकंदर भी नहीं जीत पाया था।

11-  हमारा सच्चा प्रयास निष्फल नहीं होता। छलांग से बेहतर है। निरंतर बढ़ते रहो। एक दिन मंजिल मिलेगी ही।

12-  मैं एक किताब हूं। चाहे कितना ही पुराना क्यों ना हो जाऊं। मेरे शब्द और मेरे अल्फाज कभी नहीं बदलेंगे।

13-  एक मात्र सुखी का खोजी इंसान है।

14-  सुख, संपति, स्वरूप, संयम, सादगी, सफलता, साधना, संस्कार, सम्मान ही हमारा परिचय है।

15-  धर्मसूत्रः- हमारा आचरण कर्तव्य ही हमारा धर्मसूत्र है।

16-  हमारा शरीर ही धर्म क्षेत्र है। हमारा शरीर ही कुरूक्षेत्र है।

17-  मेरा सच्चा कुरूक्षेत्र मेरा शरीर है।

18-  अधिकांश लड़ाई या युद्ध तेरा-मेरा और अपने-पराये के भेद-भाव से होती है।

19-  राग दोष ही अधर्म की जड़ है।

20-  हमारा धर्म सबसे पहले इंसानियत का है।।

                
                      दीपक कोहली




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