गांव, नगर, जनपद, प्रदेश,
मिलकर बनता है नेशन ।
और देश सेवा का अवसर,
देता वैक्सीनेशन।।
फैली चारों ओर बिमारी,
त्राहि-त्राहि घर-आंगन।
छीन लिए जिस बिमारी ने,
अपने कितने प्रियजन ।।
क्रूर कोरोना सुरसा सम,
अपना मुख फैलाए ।
पवन पुत्र की भांति हमें भी,
रहना बचे बचाए ।।
समय-समय पर हाथ है धोना,
ध्यान रहे डिक्टेशन।।1।।
और देश सेवा का अवसर....
जुड़ी हैं हमसे जो -जो कड़ियां,
होंगी तभी सुरक्षित ।
जब स्वयं को रखेंगे हम,
दिनामान संरक्षित।।
माॅस्क पहनने को समझें,
हम सब न मजबूरी,
हम लेंगे संकल्प आज अब,
रखेंगे दो गज दूरी।।
मिटे कोरोना क्रूर बीमारी,
न नाम कहीं हो मेंशन।।2।।
और देश सेवा का अवसर...
सर्वथा हितकारी है,
वैक्सीनेशन जानो ।
वैक्सीनेशन की गुणवत्ता को,
सब ही पहचानो ।।
अवरुद्ध करो पथ अफवाहों का,
जागो और जगाओ ।
सुख, समृद्धि, आरोग्यता की,
मिलकर फसल उगाओ।
हे करुणापति! करुणा करो,
आए अमित सुमति सेशन।।3।।
और देश सेवा का अवसर,
देता वैक्सीनेशन..
-अमित मिश्रा
बहुत अच्छी देश की लिए कविता
ReplyDeleteधन्यवाद।
अमित जी