साहित्य चक्र

12 September 2021

कविताः वैक्सीनेशन


गांव, नगर, जनपद, प्रदेश,
मिलकर बनता है नेशन ‌।
और देश सेवा का अवसर,
देता वैक्सीनेशन।।

फैली चारों ओर बिमारी,
त्राहि-त्राहि घर-आंगन।
छीन लिए जिस बिमारी ने,
अपने कितने प्रियजन ।।

क्रूर कोरोना सुरसा सम,
अपना मुख फैलाए ।
पवन पुत्र की भांति हमें भी,
रहना बचे बचाए ।।

समय-समय पर हाथ है धोना,
ध्यान रहे डिक्टेशन।।1।‌।

और देश सेवा का अवसर....


जुड़ी हैं हमसे जो -जो कड़ियां,
होंगी तभी सुरक्षित ।
जब स्वयं को रखेंगे हम,
दिनामान संरक्षित।।

माॅस्क पहनने को समझें,
हम सब न मजबूरी,
हम लेंगे संकल्प आज अब,
रखेंगे दो गज दूरी।।

मिटे कोरोना क्रूर बीमारी,
न नाम कहीं हो मेंशन।।2।।

और देश सेवा का अवसर...

सर्वथा हितकारी है,
वैक्सीनेशन जानो ।
वैक्सीनेशन की गुणवत्ता को,
सब ही पहचानो ।।

अवरुद्ध करो पथ अफवाहों का,
जागो और जगाओ ।
सुख, समृद्धि, आरोग्यता की,
मिलकर फसल उगाओ।
हे करुणापति! करुणा करो,
आए अमित सुमति सेशन।।3।।

और देश सेवा का अवसर,
देता वैक्सीनेशन..


                                          -अमित मिश्रा


1 comment:

  1. बहुत अच्छी देश की लिए कविता

    धन्यवाद।
    अमित जी

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