साहित्य चक्र

10 September 2021

बदल रही है फिर भी दुनिया



दुनिया अक्सर खिलाफ रही है
नये बदलाव के,
नयी सोच को किया जाता रहा है
यहां हतोत्साहित,
स्थापित ढर्रे पर ही चलने की ज़िद्द
रही है इसकी,
फिर भी, बदली है यह समय के हाथों
मजबूर होकर
और नये एवं प्रासंगिक विचारों की
यही सफलता है।

दुनिया वालों का अक्सर विश्वास रहा है
भेड़ चाल में,
अलग रास्ता अपनाने वालों का बहुधा
उड़ाया जाता रहा है मजाक,
दूसरे लोगों की देखा-देखी करने की ही
प्रवृत्ति रही है इसकी,
फिर भी, बहुत से लोगों ने खोले हैं 
नये क्षितिज के द्वार
और नवीन राहों के अन्वेषण की इन्सानी
जिज्ञासा की यही सफलता है।


                                  जितेन्द्र 'कबीर'



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