साहित्य चक्र

14 September 2021

कविताः हिंदी अपनाएं


भारत माता के माथे की ,
बिंदी है यह हिंदी।

हिंदी में बसने वालों वीरो,
 आओ एक अभियान चलाएं।

आओ हिंदी को अपनाकर ,
भारत मां का मान बढ़ाएं।

हिंदी के गौरव के खातिर ,
आओ एक परिवार बनाएं।

जीवन में अपना के हिंदी ,
देश का मान बढ़ाएं।

बच्चे ,युवा हम सब मिलकर, 
घर-घर में हिंदी पहुंचाएं।

हिंदी है संस्कार की जननी ,
हम इसकी अलख जगह।

हिंदी हमारी मातृभाषा,
आओ हम सब मिलकर,
अपनी मांँ को अपनाएं।


                                       डॉ. माधवी मिश्रा "शुचि"



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