भारत माता के माथे की ,
बिंदी है यह हिंदी।
हिंदी में बसने वालों वीरो,
आओ एक अभियान चलाएं।
आओ हिंदी को अपनाकर ,
भारत मां का मान बढ़ाएं।
हिंदी के गौरव के खातिर ,
आओ एक परिवार बनाएं।
जीवन में अपना के हिंदी ,
देश का मान बढ़ाएं।
बच्चे ,युवा हम सब मिलकर,
घर-घर में हिंदी पहुंचाएं।
हिंदी है संस्कार की जननी ,
हम इसकी अलख जगह।
हिंदी हमारी मातृभाषा,
आओ हम सब मिलकर,
अपनी मांँ को अपनाएं।
डॉ. माधवी मिश्रा "शुचि"
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