साहित्य चक्र

10 September 2021

जीवन तो चलता रहता है


अभिलाषाओ का त्याग करों 
कर्म योग का अभ्यास करों 
जीवन तों चलता रहता हैं 
नित नये प्रयास करों ।

हर दिन कुछ नया करों 
बीज अच्छा बोयगो तो फल 
भी नेक मिलेगा।ना सोचो कल 
की आज कुछ नया करों ।

शोक से हाथ हटाते हो ना 
हर्ष से भी पश्चात्ताप करों 
वियोग में बैठे आँसू बहते 
संयोग में भी विलाप करों ।

बिन इंन्द्री के क्या  होना है 
सत्य पथ को प्राप्त करों 
जग जीवन में निस्वार्थ रहकर 
संग आत्मा के परमात्मा को प्राप्त करों ।


                                   - निर्मला सिन्हा


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