कैसे करूं मै शम्भो
आराधना तुम्हारी
क्या क्या करू मैं अर्पित
योगी हो तुम कामारी
स्नान करूं समर्पित
गंगा जटा निवासी
आसन करूं समर्पित
कैलाश के तुम वाशी
वस्त्रों में क्या दूं तुमको
दिगम्बर आकाशधारी
कैसे करूं मै शम्भो
आराधना तुम्हारी
माला करूं जो अर्पण
तू भुजंगमाल्यधारी
चंदन कहाँ लगाऊँ
भस्मोद्धूलित विग्रहारी
मधु कैसे चढाऊँ
मधुकर ही पहरेदारी
कैसे करूं मै शम्भो
आराधना तुम्हारी
भस्म क्या लगाऊँ
शम्शान का तू वाशी
ध्यान कहाँ धरूं मै
कैलाश हो या काशी
नैवेद्य करूं निवेदित
पत्तों के तुम आहारी
कृपा करो कृपानिधी
तुम ही हो सर्वाधारी
कैसे करूं मैं शम्भो
आराधना तुम्हारी
क्या क्या करूं मै अर्पित
योगी हो तुम कामारी
सेवाजीत अभेद्य
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