साहित्य चक्र

17 August 2019

दूषित राजनीति दूषित लोग

दूषित राजनीति दूषित लोग



आज हम भारत की राजनीति की बात करें तो वह पूरी तरह दूषित हो चुकी है। इसके लिए हम किस को जिम्मेवार ठहरा है। कुछ समझ नहीं आता मगर वास्तव में हम विचार करें तो दूषित राजनीति के लिए हमारा भारतीय संविधान ज्यादा जिम्मेवार है और कुछ हम खुद भी। राजनेताओं के लिए कड़े कानून नहीं बनाएंगे, जिसका दिल आता है राजनीति में दौड़ आता है अपने नाम के बल पर और अपने पैसे के बल पर भले उसके पास अच्छी शिक्षा हो या ना हो, इसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता मगर किसी स्कूल या कॉलेज में हमें बच्चों को पढ़ाना है तो हमेशा यही देखा जाता है कि बच्चों को पढ़ाने वाला अध्यापक अच्छी शिक्षा ग्रहण किया हुआ हो और अच्छा व्यक्ति हो मगर जब पूरे देश को संभालने की बात आती है तो यह बात बिल्कुल भी नहीं आती है।न ही भारतीय संविधान में इस तरह का कोई प्रावधान है। स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए हम एक योग्य शिक्षक को ढूंढते हैं उसके लिए कई तरह के नियम बनाए हैं। 



उसका टेट पास होना चाहिए वह कमिशन में भी पास होना चाहिए इंटरव्यू में पास होना चाहिए मगर पूरे देश को संभालने वाला एक राजनेता भला अनपढ़ हो उसके लिए किसी तरह का कोई प्रावधान नहीं है। 10000 मंत्रियों को मोबाइल फोन का भत्ता मिलता है जबकि 399 रुपए के रिचार्ज ले 3 महीने तक काल फ्री रहती है। मगर बहुत सारी कमियां हमारे खुद में भी है क्योंकि अगर कोई अच्छा व्यक्ति नेता के रूप में खड़ा भी होना चाहता है तो हम फिर भी अपनी जाति,अपने धर्म के नाम पर ही वोट देते हैं। भले वोट लेने वाला व्यक्ति कितना भी दूषित प्रवृत्ति का क्यों ना हो। अगर हम वास्तव में चाहते हैं कि हमारी देश की राजनीति जो दूषित हो चुकी है। उसको साफ सुथरा किया जाए तो हमें सबसे पहले अपनी सोच को बदलना होगा अपनी सोच के अंदर से जाति धर्म को बाहर निकालना होगा। हमें देखना होगा कि हमारे लिए कौन सा व्यक्ति राजनेता के रूप में श्रेष्ठ है भले वह किसी भी जाति का हो,भले वह किसी भी धर्म का हो। 

दूसरी तरफ जिस प्रकार एक स्कूल या कॉलेज में पढ़ाने वाले अध्यापक के लिए कड़े नियमों को पार कर एक अध्यापक के रूप में प्रवेश मिलता है । ऐसे ही कड़े नियम एक राजनेता के लिए भी होने चाहिए।जिन को पूरा करने के बाद वह देश की राजनीति में कदम रख सकें। क्योंकि पूरे देश को संभालने वाला व्यक्ति कितना काबिल है इस बात का प्रमाण भी होना चाहिए।

                                                                    राजीव डोगरा



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