साहित्य चक्र

03 August 2019

झूले डल गए....

*लो आया सावन झूम के*
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झूले डल गए बागों में
लो आया सावन झूम के
हाथों में लेकर हाथ
आओ झूलें गायें हम
रिमझिम रिमझिम बूंदे आई

फिर से शोर मचाएं हम
जी करता है आसमां को
मुट्ठी में कैद कर लाएं
स्वच्छन्द उड़ें गगन में
सावन की खुशियां पाएं

हरियाली की चादर ओढ़े
धरती ने श्रृंगार किया
सजी धजी महकी क्यारी
मन को लगती प्यारी
सावन में कावड़िया बोले

बम बम भोले बम बम भोले
चले झुण्ड के झुंड 
कतार में चले जा रहे
महादेव के भक्त प्यारे
शिव जी खुश होंगे

बरसेगी काली बदली
ठंडी ठंडी चली बयारें
लगता सावन लाई रे
स्वागत अभिनंदन श्रावण
तुम आये बहार लाये

सब दिल से बोलें
लो आया सावन झूम के

                               कवि राजेश पुरोहित


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