साहित्य चक्र

17 August 2019

परिवार और समाज का भी बंधन



राखी के धागे कच्चे ही सही लेकिन विश्वास की डोर से बंधे मजबूत बंधन है।यह त्यौहार  भाई-बहन के अटूट बंधन और असीमित प्रेम का प्रतीक है. त्‍याग और समर्पण को दर्शाता है।  रक्षाबंधन"रक्षा +बंधन" दो शब्दों से मिलकर बना है. अर्थात एक ऎसा बंधन जो रक्षा का वचन दें।

रक्षा बंधन का पर्व विशेष रुप से भावनाओं और संवेदनाओं का पर्व है. एक ऎसा बंधन जो दो जनों को स्नेह की धागे से बांध ले. रक्षा बंधन को भाई - बहन तक ही सीमित ना रखकर बल्कि परिवार और समाज का बंधन कहना सही होगा ।

आज के परिपेक्ष्य में राखी केवल बहन का रिश्ता स्वीकारना नहीं है अपितु राखी का अर्थ है, जो यह श्रद्धा व विश्वास का धागा बांधता है.वह राखी बंधवाने वाले व्यक्ति के दायित्वों को स्वीकार करता है. उस रिश्ते को पूरी निष्ठा से निभाने की कोशिश करता है।

आज के दौर में रक्षाबंधन महत्व ओर बढ गया है. आज के सीमित परिवारों में कई बार, घर में केवल दो बहने या दो भाई ही होते है, इस स्थिति में वे रक्षा बंधन के त्यौहार पर मायूस होते है कि वे रक्षा बंधन का पर्व किस प्रकार मनायेगें. उन्हें कौन! राखी बांधेगा ,या फिर वे किसे! राखी बांधेगी. इस प्रकार कि स्थिति सामान्य रुप से हमारे आसपास देखी जा सकती है.ऎसा नहीं है कि केवलभाई-बहन के रिश्तों को ही मजबूती या राखी की आवश्यकता होती है. जबकि बहन का बहन को और भाई का भाई को राखी बांधना एक दुसरे के करीब लाता है माता-पिता का संतान को राखी बांधना और संतान को माता-पिता को हो सकता है.उनके मध्य के मतभेद मिटाता है. आधुनिक युग में समय की कमी ने रिश्तों में एक अलग तरह की दूरी बना दी है. जिसमें एक दूसरे के लिये समय नहीं होता, इसके कारण परिवार के सदस्य भी आपस में बातचीत नहीं कर पाते है. संप्रेषण की कमी, मतभेदों को जन्म देती है. और गलतफहमियों को स्थान मिलता है.अगर इस दिन बहन -बहन, भाई-भाई को राखी बांधता है तो इस प्रकार की समस्याओं से निपटा जा सकता है. यह पर्व सांप्रदायिकता और वर्ग-जाति की दिवार को गिराने में भी मुख्य भूमिका निभा सकता है. जरुरत है तो केवल एक कोशिश की।

वर्तमान समाज में हम सब के सामने जो सामाजिक समस्याएं है.उन्हें दूर करने में रक्षा बंधन का पर्व महत्वपूर्ण  भूमिका निभा सकता है  आज जब हम बुजुर्ग माता - पिता को सहारा ढूंढते हुए वृ्द्ध आश्रम जाते हुए देखते है, तो अपने विकास और उन्नति पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ पाते है. इस समस्या का समाधन राखी पर माता-पिता को राखी बांधना, पुत्र-पुत्री के द्वारा माता पिता की जीवन भर हर प्रकार के दायित्वों की जिम्मेदारी लेना हो सकता है. इस प्रकार समाज की इस मुख्य समस्या का सामाधान किया जा सकता है।

इस प्रकार रक्षा बंधन को केवल भाई बहन का पर्व न मानते हुए हम सभी को अपने विचारों के दायरे को विस्तृ्त करते हुए, विभिन्न संदर्भों में इसका महत्व समझना होगा. संक्षेप में इसे अपनत्व और प्यार के बंधन से रिश्तों को मजबूत करने का पर्व है. बंधन का यह तरीका ही भारतीय संस्कृ्ति को दुनिया की अन्य संस्कृ्तियों से अलग पहचान देता है।

वृक्षाबंधन एक धागा वृ्क्षों की रक्षा के लिए-

आज जब हम रक्षा बंधन पर्व को एक नये रुप में मनाने की बात करते है, तो हमें समाज, परिवार और पर्यावरण को बचाने की जरुरत है, वह सृ्ष्टि है, राखी के इस पावन पर्व पर हम सभी को एक यह संकल्प लें, राखी के दिन एक स्नेह की डोर एक वृक्ष को बांधे और उस वृ्क्ष की रक्षा का जिम्मेदारी लें. वृ्क्षों को देवता मानकर पूजन करने मे मानव जाति का स्वार्थ निहित होता है. जो प्रकृ्ति आदिकाल से हमें निस्वार्थ भाव से केवल देती ही आ रही है,पेड़ पौधे बिना किसी भेदभाव के सभी प्रकार के वातावरण में स्वयं को अनुकुल रखते हुए, मनुष्य जाति को जीवन देते है  है. इस धरा और पर्यावरण को बचाने के लिए वृक्षों की रक्षा का संकल्प लेना, बेहद जरूरी हो गया है।



                                                        डॉ रचनासिंह "रश्मि"


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