जिसने बम से डरा, भगाया,
दो कोड़ी के गोरों को |
अपने शौर्य का लोहा मनवाया,
लंदन, ब्रिटेन के चोरों को ||
अपने ही नहीं बचा सके,
उन भारत माँ के लालों को |
व्यर्थ ही थी वो देशभक्ति,
जो झेल न सकी घरवालों को ||
अरे! गांधी का जादू भी कहाँ ,
लगा सका मरहम उन पर |
फाँसी के फंदे पर हँस चढ़ा,
गर्व है ऐसे वीरों के खून पर ||
जिस वक्त चढ़े वो तीन शेर,
हँस कर फांसी के फंदे पर |
क्यों न फिर बंदूक उठाई,
नेताओं ने कंधे पर ||
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू,
तीनों थे ,महान क्रांतिकारी |
अंत समय में कुछ नहीं माँगा,
ऐसे थे वो महान विचारधारी ||
प्रणाम तुम्हें भारत के वीरों,
अमर रहो! हर बच्चा बोला |
अंत समय भी तुमने गाया,
मेरा रंग दे बसंती चोला |
मेरा रंग दे बसंती चोला ||
सुनील पोरवाल "शेलु"
No comments:
Post a Comment