साहित्य चक्र

01 March 2019

अभिनंदन का अभिनंदन हैं।



अभिनंदन का अभिनंदन हैं।
दुश्मन के बल का मर्दन है।

छिपा सका कब कोई भला
दिनकर के अखंड तेज को।।


सत्य झुकता नही चाहे हो
कितनी कठिन परिस्थितियों में।

शेरों के शमशेर है हमारे सैनिक
हरा नही सकता पाक घेरे में भी।।


रण हो या फिर हो दुश्मन की भूमि 
हारते नही थकते नही सच्चे देश प्रेमी।


है अभिनंदन इस परम् पुत्र का 
जो ना डरा दुश्मन की धमकी से।

जो ना हिला गीदड़ की बोली से।

झुका नही सर जिसका सामने गोली से।

तना रहा सीना जिसका गर्व से किया 
सबको गौरवान्वित शेर की दहाड़ से ।।


                                                     संध्या चतुर्वेदी



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