न नयनों में ऐसे जुदाई रखा कर ,
वतन के लिए कुछ वफाई रखा कर।
ये माना जमाना दगा कर रहा हैं ,
मगर दिल में अपने भलाई रखा कर।
सलामत रहें मुल्क में सब हमेशा ,
दुआओं में ऐसी दवाई रखा कर।
तुम्हे भी कभी जायेगा मिल फलक ये ,
जिगर हौसलों में ऊँचाई रखा कर।
जमाना तुम्हारा भी होगा दीवाना ,
मुहब्बत की ऐसी रुबाई रखा कर।
दिखे जो नयन को हो गंगा सी पावन ,
निगाहों में इतनी सफाई रखा कर।
तुम्हारे लिखें बोल सुनने को तरसे ,
यु लफ्जो में इतनी मिठाई रखा कर।
मिले जो ख़ुशी से उसी में बसर कर ,
न हर पल लबो में दुहाई रखा कर।
उठी हैं सदा उगलियां सच पे 'रोहित' ,
तू ईमा की जारी लड़ाई रखा कर।
रोहित चौरसिया
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