साहित्य चक्र

24 March 2019

न नयनों में ऐसे जुदाई

न नयनों  में ऐसे  जुदाई  रखा कर ,
वतन के लिए कुछ वफाई रखा कर।

ये  माना  जमाना  दगा कर रहा हैं ,
मगर दिल में अपने भलाई रखा कर।

सलामत रहें  मुल्क  में सब हमेशा ,
दुआओं में  ऐसी  दवाई  रखा  कर।

तुम्हे भी कभी जायेगा मिल फलक ये ,
जिगर हौसलों  में ऊँचाई  रखा कर।

जमाना  तुम्हारा  भी होगा दीवाना ,
मुहब्बत  की ऐसी  रुबाई रखा कर।

दिखे जो नयन को हो गंगा सी पावन ,
निगाहों में  इतनी  सफाई रखा कर।

तुम्हारे  लिखें  बोल सुनने को तरसे ,
यु लफ्जो में इतनी मिठाई रखा कर।

मिले जो ख़ुशी से उसी में बसर कर ,
न हर पल लबो  में दुहाई रखा कर।

उठी हैं सदा उगलियां सच पे 'रोहित' ,
तू ईमा  की जारी  लड़ाई रखा कर।

                                               रोहित चौरसिया 


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