गुलाल की बौछार
पिचकारी की धार ।
गुझिया की मिठास
रिश्तों में भरे प्यार ।।
होलिका का संहार
जीते प्रहलाद कुमार ।
बुराई का होता अंत
कहें होली का त्यौहार ।।
छाया रंगों का शुमार
लाया प्रेम की फुहार ।
बसंती टेशू - पलाश
रंग का चढा खुमार ।।
ढोल-मांदल बजे द्वार
देने खुशियां अपार ।
सदा मुस्करातें रहों
कहें होली का त्यौहार ।।
बहें भाईचारे की बयार
मिसाल दे सारा संसार ।
बस यहीं शुभकामनाएं
गोपाल की करों स्वीकार ।।
✍गोपाल कौशल
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