साहित्य चक्र

22 September 2017

मेरे दादा जी..।



मेरे परिवार में मेरे दादा जी सबसे बड़े और सबसे समझदार हुआ करते थे। मेरे दादा जी बहुत प्यार करते थे..। जब मैंने माँ का दूध पीना छोड़ा..तो तब में दादा जी के साथ सोने लगा..। मेरे दादा मुझे बहुत ही प्रेम और प्यार करते थे..। मैंने अपने दादा जी में एक बहुत ही अच्छी खूबी देखी..जो मुझे आज भी याद है..। मेरे दादा जी कभी भी गुस्सा नहीं हुआ करते थे..। चाहे उन्हें कोई थप्पड़ मार दें या फिर गोली..फिर भी वो गुस्सा नहीं करते थे..। सहनशीलता मैंने अपने दादा जी से ही सीखी है..। वो हर बात पर हाथ जोड़ा करते थे..। मेरे दादाजी मेरे परिवार के वो व्यक्ति थे..। जिन्हें पूरा परिवार गाली या गुस्सा करता था..। हाँ...इतना जरूर है..मेरे दादाजी किसी भी व्यक्ति से गलत ढ़ग या तरीके से बात नहीं करते थे..।

मेरे दादाजी भगवान या ईश्वर पर बहुत श्रद्धा रखते थे..। हमें भी भगवान से जुड़ी कहानियां बताया करते थे..। मैं भी दादाजी से कभी - कभी ईश्वर से जुड़ी बातें किया करता  था..। मेरे दादा एक सभ्य इंसान हुआ करते थे..। हाँ...इतना जरूर है..कि मैं उनके चरित्र के बारे में नहीं जानता..।
जब से मैं अपने दादा जी को देखा था..वो अकेले थे...यानि मेरी दादी नहीं थी..। हाँ मैंने अपनी दादी नहीं देखी..। मेरे दादा मुझे अच्छी चीजें और अच्छी बातें बताया करते थे..। कभी - कभी प्रवचन भी दिया करते थे..। दादाजी की  इन्हीं आदतों और बातों को मैं आज भी याद किया करता हूँ...।मेरे दादा मेरे महापुरूष है...। हर परिस्थिति में अपने आप को ढ़लना...मेरे दादा की सबसे बड़ी जीत थी..। मेरे दादा जी अक्सर मुझसे कहां करते थे..। 
देवा...(दीपक) पोते तू एक दिन मुझे याद जरूर करेगा..?

आज मुझे मेरे दादा की वो बातें याद आती है...जो मेरे दादा कहा करते थे..। मैं आज भी अपने दादा को याद करता हूँ..। मेरे दादा जी ही मेरे सबकुछ थे..।

याद करते हूँ..तुम्हें,
हर घड़ी...।
याद आती है तुम्हारी,
वो बाते जो तुम,
किया करते थे..।
दादाजी दादाजी..।।

दादा जी तुम ही मेरे सबकुछ थे..और रहोंगे भी मरते दम तक..। दादा मुझे मांफ करना..अगर मैंने कुछ गलत या कोई गलती की हो..।
इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपने कलम को यहीं पर विराम दूंगा..।


                                                                        लेखक- दीपक कोहली

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