आज हम आपको एक विशेष जानकारी देने जा रहे है..। जी हाँ..। आज हम आपको अनंत चतुर्दशी के बारे में बताने जा रहे है..। आखिर क्या है अनंत चतुर्दशी...? हर पहलू से हम आपको समझाएगें..।
अनंत चतुर्दशी भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी है..। अनंत चतुर्दशी को 'रक्षासूत्र' भी कहा जाता है..। या इस दिन को 'अनंतसूत्र' भी कहां जाता है..। वैसे यह हिंदू धर्म का एक त्योहार है..। जो मुख्यत: दक्षिण भारत में मनाया जाता है...। अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है..। जिसके बाद 'अनंत सूत्र' बांधा जाता है..। वैसे कहां जाता है कि जब पांडवे ने अपना सब कुछ जुएं में हार लिया था। तब भगवान कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने की सलाह दी थी..। जिसके बाद सभी पांडवे ने धर्मराज युधिष्ठर के साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत रखा था...। जिसके बाद पांडवे संकट मुक्त हो गए..। वैसे इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है...। इस दिन खास तौर से तैयार किए गए...एक डोरी में चौदह गांठों का बंधना बनाकर... उसमें मंत्र उच्चारण कर हाथों में बांधा जाता हैं...। पुरूष इस डोरी को दाहिने तो स्त्री बांए हाथ में बांधती है...। डोरी बांधने के बाद पूरे परिवार में प्रसाद वितरण किया जाता है..। वैसे आपको बता दूं...। यह त्योहार मुख्य रूप से दक्षिण भारत की शान है..। दक्षिण भारत में इस त्योहार को बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है...। वहीं इस दिन का महत्व जैन धर्म में भी उतना ही है...जितना की हमारे हिंदू धर्म में..। जैन धर्म के अनुसार 'अनंत चतुर्दशी' को सबसे पवित्र तिथि बताया गया है...। वैसे इस दिन जैन त्योहार 'पर्यूषण पर्व' का आखिरी दिन होता है..। जिसके कारण जैन धर्म में इस दिन का महत्व काफी बढ़ जाता है..। वैसे भी हमारा देश पर्वों का देश कहा जाता है...। जहां हर समय पर्व होते रहते है..। कभी दिवाली तो... कभी ईद....।
* संपादक- दीपक कोहली *
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