जयदीप पत्रिका
हिंदी साहित्य की पहचान
साहित्य चक्र
20 September 2017
* मुझे भी उड़ना है...।
DK Kohli
माँ..! मुझे भी उड़ना है..।
मत कतरों मेरे पंख,
भाई की तरह मुझे भी जीना है..।।
माँ..! मुझे भी उड़ना है..।
मत घोटो मेरा गला,
मुझे भी बुआ की तरह जीना है..।।
माँ..! मेरा क्या कसूर है..?
मुझे भी जन्म दे दो..।
ओ मेरी प्यारी माँ..।
कवि- दीपक कोहली
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