अनिल बिष्ट |
अनमोल यु जीवन , येतै ना गवंवा
बिडी बांगुलु पीक , तै जुकुडी ना जवंवा..।
ऐ मेरा छोटा भै, बैणु तुम इनु करी जावा
नशामुक्त ये औण वावा, उत्तराखण्ड तै बणवा..।
ऑस्पातलों मा भी देखा, मची घमासाण
कैंसर पीडित लोग, लगयुं डसाण...।।
कति समझोण यों तै, बिडी गुटखा नी खाण
कैंसर पीडित लोग, लगयुं डसाण...।
सब पता छ की, यु जानलेवा
फिर भी मनखि,इनु खॉंदु जनु क्वै मेवा..।
यु मेवा भी इनी करदु सेवा
ऑस्पातल कु बाटु बतोंदु
जगह-जगह सैर करोंदु..।।
अनमोल यु जीवन..........।।
कवि- अनिल बिष्ट
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