पहली कविता
बापू तेरे देश में...
दो अक्टूबर को महात्मा गांधी
का जन्म दिन है आता
हर वर्ष इसको गांधी जयंती के
रूप में मनाया है जाता
इस दिन बापू को करता
है पूरा विश्व श्रद्धा से याद
सत्य और अहिंसा के बल पर
जिसने करवाया था भारत आज़ाद
संतों का जीवन जीते थे
साबरमती में थे रहते
जीवन था सीधा सादा
सच्च ही हमेशा थे कहते
सत्य का जिसने साथ न छोड़ा
अहिंसा के बल पर लड़ी लड़ाई
अंग्रेजों को छोड़ना पड़ा भारत
बापू की मेहनत रंग लाई
झूठ का पलड़ा भारी है अब
सच्च कहीं नहीं है चलता
झुठे और मक्कार हैं सारे
पाप हर जगह है पलता
अहिंसा का अब नाम नहीं है
हिंसा सब के है मन में
शांति अब नहीं रही किसी में
गुस्सा मन और है तन में
पग पग पर हैं अत्याचारी
झूठे फरेबी और बलात्कारी
नारी का शोषण कर रहे
चुपचाप देख रही दुनियाँ सारी
बापू तेरे देश में अब
काम हो रहा है निराला
सत्य अहिंसा कोई नहीं चाहता
झूठ और हिंसा का है बोलबाला
बलात्कारी हैं मजे में रहते
मरती तिल तिल है बाला
बापू तेरे देश में
काम हो रहा है निराला
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दूसरी कविता
छोटा कद बड़ी शख्सियत बहादुर
कद के थे छोटे इरादे के थे पक्के
सादगी और ईमानदारी की थे मिसाल
गरीबी में पले बढ़े थे देखी थी करीब से
भंवर से किश्ती को ले गए थे निकाल
सारा जीवन संघर्षों से भरा था
गंगा पार करके रोज़ स्कूल जाते थे
गरीबी का दौर देखा था नज़दीक से
सादा शाकाहारी भोजन ही हमेशा खाते थे
गांधी जी का उनके ऊपर प्रभाव था
आजादी के लिए कई बार गए jel
देनी पड़ी आज़ादी गोरों को
अंग्रेजों की सब नीतियां हो गई फेल
नैतिकता उनमें कूट कूट कर भरी थी
रेल दुर्घटना होने पर कर दिया पद त्याग
उच्च नैतिक मूल्यों की लिख डाली कहानी
करता है जिसको आज भी पूरा भारत याद
उनकी ईमानदारी के किस्से कोई क्यों सुनाएगा
उनके आदर्शों पर कोई नहीं चल पाएगा
नैतिकता का पाठ कोई उनके जीवन से ले ले अगर
तो यह भारत फिर से बुलंदियां छू जाएगा
कार खरीदने के लिए ऋण लेने से डरते थे
कि ऋण की क़िस्त कैसे वह चुकाएगा
पैरोल की अबधि से पहले जेल वापिस चले गए
बेटी चल बसी यह कोई नहीं समझ पायेगा
अन्न की कमी थी भुखमरी का दौर था
देश अनाज के दाने दाने को मोहताज़ था
अमेरिका जो भेजता था भारत को
जानवरों को खिलाने वाला वो अनाज था
एक समय ही खाएंगे देश में अनाज उगाएंगे
लाल बहादुर ने देशबासियों को यह नारा दिया
दिन रात लग गए सब आ गई हरितक्रांति
देश को अनाज में फिर आत्मनिर्भर बना दिया
नए कपड़े जूते नहीं थे उनके पास
जवाहर लाल नेहरू ने दिया था नया कोट
ईमानदारी और सादगी की मिसाल थे
उनकी सख्शियत में नहीं था कोई खोट
- रवींद्र कुमार शर्मा
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