जिसने भी यह मुहावरा बनाया है उसने क्या सही प्रतीकात्मक उदाहरण देकर स्वं को खिशियानी बिल्ली बना दिया और अपनी अतृप्त इच्छा को खम्भा,सच ही तो है अंगूर खट्टे हैं कि तरह अपनी खीझ खम्भे पर ही उतार दिया।
भारत की आधी से अधिक आबादी इसी के अंतर्गत आती है। पैसों की दौड़ ने सबको खिशिया के रख दिया,जिनको रोटी के लाले पड़े हैं वह तो खिशियानी बिल्ली बन जाए समझ में आता है पर जिन नेताओं के पास पांच पुश्तों का बैभव है वह भी सत्ता न पाने पर इतना खिशिया जाते हैं कि उल्टा सीधा आरोप लगाते ही रहते हैं।
इसी प्रकार कुछ अमानवीय प्रकृति के लोग जब आजकल उल्टी रीति से अपना धंधा नहीं चला पाते हैं तो सरकार को खम्भा समझ अपना खींझ बदनाम करके निकालते रहते हैं।
इस प्रकार मालिक नौकर पर,सास बहू पर,बहू सास पर,सभी खिशियानी बिल्ली बन कर एक दूसरे का अहित करना चाहते हैं पर करें तो क्या करें मानवतावादी कुछ धारणाएं उनके सामने खम्भे की तरह जब खड़ा रहेगा तो वह खम्भा के अलावा नोचेगा क्या ?
जी हां आज कल मेरी दशा तो इस बिल्ली जैसी ही हो रही है। बिल्ली दूध के लालच में लप लप करती हुई इधर मुंह मारती है,उधर मुंह मारती है पर अन्ततः उसे खम्भा ही नोचना पड़ ता है।
हम रचनाकारों की दशा भी खिशियानी बिल्ली की तरह हो रही है। सम्मान जैसी दूध पीने की होड़ में जब कुछ हासिल नहीं होता तो खम्भा ही नोचते हैं। यह खम्भा हमारे लिए कभी हताशा का कभी पुनः पुरजोर कोशिश के रूप में आता है।
हम इसे किस तरह स्वीकार करते हैं यह हमारे रचना धर्मिता पर निर्भर करता है। हम यह भूल जाते हैं कि साहित्य साधना है, इसमें सफल होने के लिए अध्ययन जरूरी है पर इस अध्ययन पर तो मैंने यह कहकर ताला लगा दिया कि कवीर दास जी कह गए हैं कि पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय" तो हम तो हिंदी से प्रेम करते हैं तो हमें पंडित होना ही चाहिए,यह पंडित होना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।
हम भूल जाते हैं कि यह लेखन विधा भी एक गहरे समुद्र की तरह है जो डूबेगा गहराई में वही पाएगा। इतनी मेहनत तो करती नहीं पर हां प्रसाद लेने के लिए जरूर आ जाती हूं, लिखना तो रत्ती भर नहीं सम्मानित होने के लिए लपलपा जाती हूं और जब वह नहीं मिलता तो अपनी भी दशा खिशीयानी बिल्ली की तरह ही होती है। अब मेरी दशा कैसी होती है,यह तो भविष्य ही बताएगा पर भविष्य के सुनहरे सपने देखते हुए मैं अपनी बिल्ली को बाय बाय कह रही हूं।
- रत्ना बापुली

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