साहित्य चक्र

22 October 2025

दीवाली विशेष- 2025






दीपों का त्योहार

दीपों का त्योहार दीपावली है आई
सबके मन में खुशियां है छाई।
घर को रंग रोगन कर होती है तैयारी 
इससे घर की शोभा लगती है न्यारी।

दो दिन पहले धनतेरस है आती
कोई नई वस्तु भी खरीदी है जाती।
मिट्टी के दीपक सबको है भाते
जगमग जगमग जलकर घर की शोभा है बढ़ाते।

पटाखे  फूलझड़ियां व आतिशबाजी खूब है चलते
आसमान को रंग बिरंगी रोशनी से है भरते।
रिश्तेदार व मित्रों को मेहमान है बुलाते 
मिलजुलकर खुशियां खूब है मनाते।
घर पर पारम्परिक पकवान है बनाते
मिठाईयां भी एक दूसरे को खूब है बांटते।

दिनभर बधाई संदेशों का आना जाना लगा रहता 
कोई हैपी दिवाली तो कोई शुभ दीपावली है कहता।
रात को मां लक्ष्मी की पूजा भी है होती 
जलती रहती है मां की अखंड ज्योति।
भगवान् राम चौदह वर्ष बाद अयोध्या लौटे थे आज
उनकी पितृ भक्ति और भातृ प्रेम पर हमें है नाज़।

रात का दृश्य  बड़ा मनमोहक है लगता
घर, गांव, शहर  दुल्हन सा है सजता।
खुशियों का त्योहार है खूब खुशियां मनाओ
आपसी प्रेम भाव भी खूब बढ़ाओ।


- विनोद वर्मा


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एक दिया

इंसान को अब बदलना चाहिए,
कभी नेक राह पर भी चलना चाहिए।

देखकर दुःख दूसरों का भी,
मन उसका ज़रा मचलना चाहिए।

जिम्मेदारियों से भरी जिसकी ज़िंदगी,
उसे घर से बाहर निकलना चाहिए।

लड़खड़ा ना जाएं दोनों क़दम कहीं,
तभी ज़्यादा नहीं उछलना चाहिए।

जुगनुओं ने रात कर दी है रोशन,
थके सूरज को अब ढलना चाहिए।

जिन घरों में अँधेरा हो रहा घना,
एक दिया वहाँ भी तो जलना चाहिए।

जगमगाता रहे सदा भारत देश मेरा,
यही ख़्वाब आँखों में पलना चाहिए।


- आनन्द कुमार


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दिलों में रौशनी के दिए जलाना है,
अँधेरों को मन के अब मिटाना है।

ज़माने की गुजरती धूल में यारों,
उम्मीदों के रंगों को सजाना है।

रात भले ही हो ये काली काली,
रूह में रौशनी का राग जमाना है।

घरों की चौखटों पर मुस्कान सजी है,
हर सीढ़ी रंगों से महक उठी है।

आतिश बाजी का शोर बहुत है,
फिज़ाओं में कुंदन सी सूरतें चमक रही हैं।

दीपावली, अब सिर्फ़ एक रस्म नहीं है,
हमारी तहज़ीब की ये पहचान बनी है।

हर दिया जो जलता है सच्चे दिल से,
अमन और ख़ुलूस की खुशबू आए,
मुखड़ों पर अपने पन की छटा लहराए।


- डॉ. मुश्ताक अहमद शाह सहज



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चलो दिवाली मनाएं

चलो घी के दीपक जलाएं,
जलाएं नए ऊर्जा उत्साह से,
चलो दिवाली मनाएं ऐसे,
मनाएं एक नए अंदाज़ में।
जगमग जगमग रौशन हो,
ऐसे दीपक जलाएं हम,
चलो दिवाली मनाएं ऐसे,
मनाएं एक नए अंदाज़ में।
क्यूं न अज्ञानता को मिटाएं,
ज्ञान के नए दीप जलाएं,
चलो दिवाली मनाएं ऐसे,
मनाएं एक नए अंदाज़ में।
पटाखे फुलझड़ियों का प्रदूषण रोकें,
तेल घी के दीपक जलाएं,
घरों को रंगो की रोशनी से सजाएं,
दीवाली मनाएं नए अंदाज में।


- कैप्टन जय महलवाल 'अनजान'



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अक्टूबर की यादें...

पता नहीं, अक्टूबर माह किसकी याद दिलाता है!!
आते हुए दीपावली की, झरते हुए शिवली की,
और नज़दीक आती छठ पूजा की।
छठ तो मानो हमारे हृदय, रक्त, और हर धड़कन में व्याप्त है।
दशहरा के साथ ही मन में छठ की प्रतीक्षा शुरू हो जाती थी।
कानों में कहीं दूर से “बहंगी लचकत जाए... की धुन गूंजने लगती है।
गेहूं चुनना, धोना, सुखाना, पिसवाना,
लौकी की सब्जी, चने की दाल, बचका क्या-क्या गिनवाऊं!
खरना की शुद्धता, डूबते सूरज का अर्घ्य,
उगते सूरज की लालिमा और फिर पारण का संतोष...
फिर पूरे वर्ष छठ के इंतज़ार की शुरुआत।
छठ के बाद जैसे वातावरण में एक शांत सूनापन उतर आता है,
और फिर धीरे-धीरे वर्ष भी विदाई की ओर।
2025 अब अपने अंतिम पायदान पर खड़ा है...
देखें 2026 क्या लेकर आता है।

ईश्वर करे आने वाला वर्ष सबके लिए मंगलमय हो,
हर व्यक्ति हर पर्व पूरे हर्ष से मना सके।

दीपों-सी उजली हों आपकी भावनाएँ,
और सवेरे सूरज-सी नई उम्मीदें लाएँ।
इसी शुभकामनाओ के साथ।

जोड़े जोड़े फलवा सूरज देव घटवा पे तिवई...
जय हो छठी माई


- सविता सिंह मीरा


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दीपावली का अर्थ यही कि, हर छाया से संवाद करें,

मिट्टी के ये दीप बताते  हम सबको  सृष्टि भी क्षणभंगुर है, 
जब प्रेम की लौ जलती हो, हर क्षण  आयु का अंकुर है। 

अंधकार शत्रु नहीं, अवसर है, प्रकाश को पहचानने का, 
मौन में जो संगीत बसे, वही सत्य है जीवन जानने का। 

दीपावली का अर्थ यही कि, हर छाया से संवाद करें, 
अपने भीतर के रावण को, राम के दीप से याद करें। 

संसार के द्वार सजते रहेंगे, पर आत्मा का कक्ष जगाना है, 
लक्ष्मी जी भी आएंगी द्वारे , दीप प्रेम का हमें जलाना है। 

जग मगाए दीप मनोमंदिर में, स्नेह, क्षमा और साधना के, 
सच्ची रोशनी वही है,जो आती है आत्मपथ विवेचना से।


- डॉ मुश्ताक अहमद शाह


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दिवाली ऐसे मनायें

आओ इस बर्ष हम दिवाली ऐसे मनायें,
डी.जे . की धुनों से शोरगुल न मचाएं।
जुए और शराब के भी न चलायें दौर,
बचपन किसी का न छिने करें हम गौर।

पटाखा रहित दिवाली की परम्परा चलायें,
ध्यान रहे पड़ोस में कोई भूखा न सो जाए।
खुद के कपड़ों पर हम खर्च न करें यूँ अथाह,
फुटपाथ पर न रहे कोई चिथड़ों में लिपटा।

राम के चरित्र के आदर्श हम जीवन में उतारें,
सत्यपालन ,सयमीं बन अपना जीवन सँवारे।
अपने कर्तव्यों का बखूबी हम पालन करें सदा,
लोभ-लालच त्यागें न भूलें हम कुल मर्यादा।

दीप जला मिटाएं अमावस निशा का अँधियारा,
सकारात्मक उर्जा से भरा हो तन -मन हमारा।
करें लक्ष्मी विनायक पूजन रख मन में श्रदा भाव,
आदर और सम्मान से भरा हो हमारा स्वभाव।

आस पास के साथ ही मन को भी स्वच्छ बनाएं,
दुर्भावना और द्वेष का कूड़ा मन में न हम जमाएं।
ईर्ष्या ,घृणा जैसी बुराइयां हम मन में न पालें,
नीति, न्याय और मेहनत से देश ,समाज संभालें।

पटाखे कम फोड़े हम ,मानव से मानव को जोड़े,
पर्यावरण को भावी पीड़ियों को स्वच्छ हम छोड़े।
भरत, लक्ष्मण से लें शिक्षा , भाईचारा हम बढ़ाएं,
राघव, जानकी के नैतिक मूल्यों को हम अपनाएं।


- लता कुमारी धीमान


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प्रकाश पर्व दीपावली
अज्ञान पर ज्ञान की,
अधर्म पर धर्म की,
बुराई पर अच्छाई की,
झूठ पर सच्चाई की,
तिमिर पर प्रकाश की
अमानवता पर मानवता की
विजय का प्रतीक है दीपावली
प्रभु राम जैसा स्वामी,
बजरंगबली जैसा सेवक,
भरत, लक्ष्मण जैसे भाई,
माता जानकी जैसी भार्या
वानर राज सुग्रीव जैसा मित्र
बनने की सीख देता है
पावन पर्व दीपावली
दीपों से आलोकित हर निकेतन है
पटाखों के शोर से, आनन्दित हर मनुज है
आतिशबाजी के रंग-बिरंगे प्रकाश से,
नहाया ये गगन,ये अंबर है
पकवानों, मिष्ठानों की मिठास से
हर उर हर्षित है,आनन्दित है
अन्त में दिव्यता और धार्मिकता के साथ
माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता गणपति का
भजन,अर्चन एवं पूजन है
आओ आनंद से, उल्लास से
प्रभु श्रीराम के चरित्र को
जीवन में अपनाते हुए
प्रकाश पर्व, आनंद पर्व दीपावली मनाएं।


- प्रवीण कुमार


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आओ मिलकर दीप जलाएं
आओ मिलकर दीप जलाएं,
दीपों के त्योहार पर।
खुशियों से जीवन महकाएं,
इस पावन त्योहार पर।
दीपों के संग दीपोत्सव पर,
गणेश संग माँ लक्ष्मी आए,
संग में माँ सरस्वती को लाए,
ईश-कृपा की आशीष पाएं,
हम समस्त परिवार पर।
चेहरों पर मुस्कान सजाएं,
थोड़ा-सा हम प्यार लुटाएं,
किसी बेबस और लाचार पर।
आओ मिलकर दीवाली मनाएं,
माँ लक्ष्मी का आशीष पाएं।
मुरझाए चेहरों को खिलाएं,
अपने अगर रूठे हों- मनाएं।
मन से अंधियारे को मिटाएं,
आओ मिलकर दीप जलाएं,
दीपोत्सव का आनन्द उठाएं,
मिल-कर सब दीवाली मनाएं।

- कंचन चौहान



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सही मायने में तो दीपावली वो नहीं,
जो बिजली की रौशनी से जगमग हो जाए,
असली दीप तो वो है जो दिलों में जले,
जो अँधेरों में भी उम्मीद बन जाए।

जब कोई भूखा मुस्कराए रोटी पाकर,
जब कोई बूढ़ा हाथ थामे सहारा पाकर,
जब किसी रोते बच्चे की आँखों में हँसी लौटे,
तभी असली दीप जलता है- इंसानियत का होकर।

ना दिखावे की रोशनी, ना शोर की पिटारी,
असली दीवाली तो है मन की उजियारी।
जो हर दुखी के जीवन में मुस्कान जला दे,
जो हर दिल में प्रेम का दिया सजा दे।
भगवान वहीं खुश होते हैं सच्चे दिल से,
जहाँ करुणा बहती है हर एक सिलसिले से।
तो आओ, इस बार दीप जलाएँ इंसानियत के नाम,
मन में दया, प्रेम और सेवा का करें हम प्रण हर शाम।


- बीना सेमवाल


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दिवाली

सुख शांति समृद्धि लाई
देखो फिर दिवाली आई
जगमग-जगमग दीप जलेंगे
हर घर में रोशनी आई
देखो फिर दिवाली आई
मिलजुल कर त्यौहार मनाओ
देखो फिर खुशहाली लाई
बांटो प्यार परिवार संग
एकता का सीखो तुम ढंग
दीप जलाकर अंधेरा मिटाओ
जीवन में उजाला लाओ
दिवाली सबके मन को भाई
देखो फिर दिवाली आई।


- मनोज कौशल


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