क्या है पाप पुण्य !
उचित अनुचित, भला बुरा-
यह कार्य धर्मानुकूल है,
और यह कार्य अधर्म है !
कर्म तो कोई भी बुरा नहीं,
सिर्फ व्यवस्था से रूप बदल जाता है,
वही कर्म किसी के लिए पाप,
तो किसी के लिए पुण्य बन जाता है !
रोग मुक्त होने के लिए औषधि का सेवन उचित है,
और उन्मत्त होने के लिए उसका सेवन अनुचित है-
किसी दुष्ट घातक प्राणी को मारा जाए तो वह हिंसा उचित है,
और किसी निर्दोष को मारा जाए तो वही हिंसा अनुचित है !
एक व्यक्ति का आत्मसम्मान दूसरे के लिए घमंड हो सकता है,
एक कलम प्रेम को व्यक्त भी करती है,
उसी से किसी की मृत्यु भी लिखी जा सकती है -
उत्तम कार्य में नीयत का होना अनिवार्य है,
स्वयं का किया कर्म सही,
वही दूसरे के द्वारा हो तो गलत,
क्या है सही गलत-पाप पुण्य धर्म अधर्म,
कौन परिभाषित करता है ?
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