साहित्य चक्र

19 April 2022

कविताः पाप-पुण्य



क्या है पाप पुण्य !
उचित अनुचित, भला बुरा- 
यह कार्य धर्मानुकूल है, 
और यह कार्य अधर्म है !

कर्म तो कोई भी बुरा नहीं,
सिर्फ व्यवस्था से रूप बदल जाता है, 
वही कर्म किसी के लिए पाप, 
तो किसी के लिए पुण्य बन जाता है !

रोग मुक्त होने के लिए औषधि का सेवन उचित है,
और उन्मत्त  होने के लिए उसका सेवन अनुचित है-
किसी दुष्ट  घातक प्राणी को मारा जाए तो वह हिंसा उचित है,
और किसी निर्दोष को मारा जाए तो वही हिंसा अनुचित है !

एक व्यक्ति का आत्मसम्मान दूसरे के लिए घमंड हो सकता है,
एक कलम प्रेम को व्यक्त भी करती है, 
उसी से किसी की मृत्यु भी लिखी जा सकती है -
उत्तम कार्य में नीयत का होना अनिवार्य है,
स्वयं का किया कर्म सही, 
वही दूसरे के द्वारा हो तो गलत,
क्या है सही गलत-पाप पुण्य धर्म अधर्म, 
कौन परिभाषित करता है ?


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