साहित्य चक्र

19 April 2022

कविताः नारी महिमा





चाँद की तरह शीतल है नारी।
सूर्य की तरह तेजस्वी है नारी।।
धरती की तरह धैर्यवान है नारी।
सागर की तरह है गंभीर है नारी।
हिमालय सी विशाल है नारी।
वायु सी गतिमान है नारी।

नारी यदि दादी है तो दया का अवतार  है।
नारी यदि काकी  है तो करुणा का भंडार है।
नारी यदि भाभी है तो भावना का समर्पण है।
नारी यदि पत्नी है तो प्यार का दर्पण है।

नारी बहन बेटी है तो सब बन्धनों का अहसास है।
नारी यदि माँ है तो साक्षात परमात्मा है।
नारी कभी हारती नहीं उसे हराया जाता है।
लोग क्या कहेंगे यह कह कर डराया जाता है।

नारी यदि ठान ले तो मौत से भी लड़ जाती है।
नाजुक है अबला नहीं बलशाली हर नारी है।

सबको जीवन देने वाली नारी है।
संस्कारों की सौगात सिखाती नारी है।
आसमान में उड़ान भरती नारी है।
समुद्र में गोता लगाते नारी है।

नारी वो एहसास है जिसके लिए शब्दों की कोई अभिव्यक्ति नही।
कर सके जो उसे पूरी तरह से व्यक्त किसी भाषा में ऐसी शक्ति नहीं।।

                                        अर्चना लखोटिया


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