ज़िन्दगी एक रंगमंच है सबको
अपना अपना किरदार निभाना है
पर्दा गिरते ही सब किरदारों को
वास्तविक जीवन में जाना है
कोई बाप का किरदार निभाता है
कोई भाई बन कर आता है
कोई माता बहिन पत्नी बन कर आती है
कोई बेटे का रोल अदा कर जाता है
अच्छा अभिनय जो करता है
वह सदियों तक किया जाता है याद
जिसके अभिनय में दम नहीं
पिट जाता है वह हो जाता बर्बाद
जीवन का रंगमंच है कुछ ऐसा
बिल्कुल नहीं है फिल्मों जैसा
यहां तो जो करता है जैसा
उसको फल भी मिलता है वैसा
कर्म अच्छे होंगे तो अच्छा फल होगा
इसलिए कुछ ऐसा किरदार निभाएँ
डोर जब टूट जाये बिदा हों इस जहां से
याद करें लोग हमें भूल न पाएं
- रवींद्र कुमार शर्मा
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