साहित्य चक्र

19 April 2022

कविताः मेरी कलम





ऐ कलम, मेरी कलम,
करूँ मैं तुझको नमन।
ऐ कलम...

तुझसे विनती है खास,
 करूँ लिखने का प्रयास।
तब  देना  तुम  साथ,
सदा  रहना  मेरे  हाथ।
ऐ कलम...

मेरी लेखनी में हो दम,
रहे  न   कोई   भ्रम,
पढ़कर मेरे विचार,
सुखमय हो संसार।
ऐ कलम...

भरकर उमंगो का रंग,
लेकर अपनों का संग।
रहे  कोई  न  उदास,
पूरी हो सबकी आस।
ऐ कलम...

मिले ज्ञान का प्रकाश,
रच  दूँ  मैं   इतिहास।
मिटे  बैर  का  भाव,
बढ़े मैत्री का प्रभाव।
ऐ कलम...

सकारात्मक हो विचार,
करूँ  इसका  प्रसार।
रच दूँ सुंदर कोई गान,
बने जो मेरी पहचान।
ऐ कलम...

एक-एक शब्द में हो दम,
रुके न कभी मेरी कलम।
देना   सदा  मेरा  साथ,
थामे रखना मेरा हाथ।
ऐ कलम...


                                       कुमकुम कुमारी "काव्याकृति"



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