साहित्य चक्र

30 April 2022

कविताः बादल आएँ


बादल का एक टुकड़ा
आज आसमान में दिखाई दिया
उस बादल को देख
पूरा गांव प्रसन्न हो उठा
दादी बोली अरे बेटा !
बनाओ पकोड़े और चाय
आ रही हमारी बारिश देवरानी
लाई होगी
राहत चाचा को भी साथ
अब गर्मी मौसी
जल्द जाएगी ससुराल
आखिर कैसी हो ग‌यी
यह गर्मी विकराल...

- दीपक कोहली


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