हाँ मैं ईश्वर की रचना हूँ।
सोकोमलांगी नारी हूँ।
परंतु आज के युग की नारी हूं।
मैं आज पुरूषों के सभी।
कठोर,कठिन कार्य।
करने में सक्षम हूं।
हां मैं ईश्वर की रचना हूं।
मैं कार, स्कूटर, मोटरसाइकिल।
ऑटोरिक्शा, जहाज,हवाई
जहाज, रेल, बस सब कुछ।
चला सकती हूँ, चलाती भी हूं।
हां मैं ईश्वर की रचना।
सुकोमलांगी नारी हूं।
मैं आज एक डॉक्टर,वकील।
इंजीनियर, ज्योतिष सभी।
कुछ हूँ, मुझमें ईश्वर ने सारी।
शक्तियां समाहित की है।
हां,मैं आज की नारी।
ईश्वर की सुंदर अदभुत रचना हूँ।
- संगीता सूर्यप्रकाश
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