रेड रोज़ दें रोज
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घुटने अपने टेक कर, ले हाथों में रोज़ ।
मुस्काकर फिर कीजियै, प्रिय को सदा प्रपोज।
प्रिय को सदा प्रपोज, रोज़ को हँस कर दीजै।
मनचाहा परिणाम, प्राप्त क्षण में कर लीजै ।
कह 'कोमल' कविराय, पूर्ण होंगे सब सपने ।
रेड रोज़ दें रोज, टेक कर अपने घुटने ।
मन में निर्मल प्रेम है, यदि है निश्छल प्यार।
पाटल दिवस मनाइये, तब होगा साकार ।
तब होगा साकार, नहीं तो मात्र दिखावा ।
ऐसा न कुछ करें, बाद में हो पछतावा ।
कह 'कोमल' कविराय, प्रेम है यदि जीवन में ।
तभी मिले सुख शांति, बात यह रखना मन में ।
श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
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