साहित्य चक्र

11 February 2021

मैंने महसूस किया


मैंने महसूस किया है।
हमारे मां-बाप भी हमें कभी-कभी
वह दर्द दे देते हैं जिसे हम जीवन भर नहीं भूल पाते है।
नहीं उस दर्द को हम किसी के साथ साझा कर सकते हैं।
हो सकता है आपके नजरिए से मैं गलत हूं,
मगर यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है।

हां यह भी सत्य है..!
कि मां बापू ने हमें पाल पोछ कर बड़ा किया है।
उनका कर्ज..! हम कभी भी और किसी भी
सूरत में नहीं उतार सकते हैं।
मगर यह भी सत्य है हमारे जन्म में भी
उनका भी स्वार्थ छिपा रहता है।

मैं यह भी स्वीकार करता हूं कि हर मां बाप एक जैसे नहीं
होते हैं और हर बच्चे भी एक जैसे नहीं होते हैं।
इतना ही नहीं हर रिश्ते स्वार्थ पर टिके रहते हैं।
अगर आपको नहीं पता तो जरा आप भी अपने रिश्तों को
परखिए, जानिए आपके रिश्तेदारों के क्या हकीकत है..?

दीपक 'पागल'


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