साहित्य चक्र

03 February 2021

हिमाचल का लाहौल स्पीति




लाहौल-स्पीति हिमाचल के सभी टूरिस्ट डेस्टिनेशन में से अभी सबसे ऊपर है या यूँ कहें अभी क्रेजी डेस्टिनेशन बना हुआ है। स्पीति भारत और तिब्बत के बीच स्थित है। वही लाहौल को लैंड विद मैनी पासेस भी कहा जाता है क्योंकि लाहुल से दुनिया का सबसे ऊंचा हाईवे गुजरता है। जिससे लाहुल को दुनिया भर में अलग पहचान मिलता है।

हिमाचल के दामन में फैली लाहुल स्पीति की वादिया एक बार यहाँ आने के लिए जरूर आकर्षित करेगी यहाँ की खासियत बस यही है कि जहाँ नज़र उठाओ वहां प्रकृति की अदुभुत सुंदरता देखने को मिलेगी। जहां एक तरफ इन घाटियों की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर आंखों को सुकून मिलता है वहीं दूसरी तरफ हिंदू और बौद्ध परंपराओं का बेमिसाल संगम आश्चर्यचकित कर देगा। लाहुल स्पीति को एक उपाधि दी गई है "ठंड के रेगिस्तान होने का" कारण ये है की यहाँ बारिश बहुत कम होती है। यहाँ के पहाड़ और पर्वत पूरी तरह से निर्जन है इसकी वजह ये है की यहाँ हर मौसम में बर्फ़बारी देखने को मिलेगी।लाहौल-स्पीति एडवेंचर प्रेमी, बाइकर्स और ट्रेकर्स के लिए जन्नत से कम नहीं है। यहां पहाड़ों से नीचे उतरती नदियां जिस रफ़्तार के साथ बहती है उसकी खूबसूरती देखते बनती है।

यहां के आसमां का रंग.. रंग.. तो कुछ अलग ही नीला है जो बाकी जगहों से बिलकुल ही अलग देखने को मिलता है। यहाँ पर ठंडी हवाओं के बीच जगह-जगह बुद्धिस्ट प्रेयर फ्लैग्स उड़ते नजर आता है। इस जगह आ कर यहाँ के संस्कृति और शांति को महसुस कर सकते हैं। शहर के भीड़ भाड़ दे दूर सुकून है यहाँ। ट्रैकिंग में भी अगर दिलचस्पी है तो भी स्पीति वैली बेहतरीन जगह है। यहां के खूबसूरत गांव में सबसे ऊपर किब्बर का नाम आता है जो काज़ा शहर से 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर है। यह दुनिया के सबसे ऊंचाई पर बसा हुआ गांव है।

उसके बाद बारी आती है यहाँ की "की मोनैस्ट्री" जो की स्पीति नदी के किनारे पर स्थित है मोनैस्ट्री को देख कर ऐसा लगता है जैसे इसे पहाड़ के आखिरी में टाँग दिया गया हो। यहाँ आने पर बोध भिक्षु चारो तरफ दिखेंगे। इसके बाद बारी आती है कुंजुम पास की जिसे स्पीति वैली का गेटअवे कहा जाता हैा वैसे तो यह इलाका जून महीने के आखिरी में खुलता है कुछ दिनों के लिए। इस जगह पर आने के लिए इंतज़ार करना होता है कि कब बर्फ पिघले और वहां से गुजर सके। यहाँ से हिमालय की पहाड़ियों को देखने का एहसास ही अलग होता है.इससे अलग यहाँ और भी बहुत कुछ है जिसमे यहाँ की एक झील आती है।

वैसे तो कई झील देखा होगा सबने पर यहाँ जो झील है वो चाँद के आकर का झील है जिसे चंद्र ताल झील के नाम से जाना जाता है और इस झील की खासियत यह है इसका पानी दिन के अलग-अलग समय में अपना रंग बदलता रहता है। वैसे तो चंद्रताल झील तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है क्योंकि सड़क से यहाँ पहुँचने में समय ज्यादा लगता है। नही तो कुंजुम पास से पैदल ही जा सकते हैं। आखिरी में बारी आती है यहाँ के खुबसूरती में चार चाँद लगाने वाली स्पीति नदी की जो लाहौल-स्पीति की खूबसूरत घाटी को एक बच्चें की तरह पालने पोसने का काम करती है। यह लाहौल और स्पीति को दो हिस्सों में बांटती है।

शालिनी ठाकुर

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