साहित्य चक्र

20 February 2021

जाने कहां गया



घबराकर उसने अपनी राह बदल ली
फिर कोई नहीं जानता वो कहां गया ।

वो जो अपने वादे पर मर मिटता था
वादा तोड़ के  वो जाने कहां गया ।।

यूं तो तन्हा था हर शख्स उस रहा का
 वो अपनी तन्हाई लेकर जाने कहां गया

यकीनन सबको थी मंजिल की जुस्तजू
वो अपनी मंजिलें आरजू लेकर जाने कहां गया ।।

जाने क्या दीवानगी थी उसे इश्क में
वो अपनी दीवानगी लेकर जाने कहां गया।।

चांदनी रात में झूम उठता  वह याद में
 वो अपनी यादें लेकर जाने कहां गया ।

उसका इंतजार शायद किसी को नहीं था
वो अपना साया लेकर जाने कहां गया ।।

साहिल था वो मगर उसे साहिल ना मिला
वो अपनी कश्ती लेकर जाने कहां गया।


                                             कमल राठौर साहिल 

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