साहित्य चक्र

11 February 2021

वाणी अमृत बोल


वाणी की महिमा
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वाणी अमृत बोल है , वाणी रस की खान
वाणी से मिलती है , दिलों में पहचान।।

वाणी मधुर संगीत है, वाणी मन का गीत
वाणी से ही भाता है मन को कोई मनमीत।।

वाणी जंग को रोकता, मृदु भावों को तोल
वाणी से ही बनता हर रिश्ता अनमोल।।

वाणी प्रथम स्थान, जगाए हृदय में प्रेम
वाणी का ही दीजिए भेंट सबको सप्रेम।।

वाणी से ही होती, इंसान की पहचान
वाणी से तो मिल जाए पत्थर में भगवान।।

वाणी कलुषित विचार, देता हृदय से उतार
वाणी कर्कश कटु वचन चले जैसे कटार।।

वाणी मन को मोहे, करते सब सम्मान
वाणी देती अजनबियों को भीड़ में पहचान।।

वाणी को विराम देते, क्षण भर को बोल
वाणी को बोलिए मुख तराजू तौल।।

वाणी ही लक्ष्मी, वाणी ही शारदा
वाणी मृदु भावों से मिले सभी को फायदा।।

वाणी ही गीत, वाणी ही संगीत
वाणी बढ़ाए संबंधों में प्रीत।।

                                   प्रियंका प्रिया


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