मन की सीमा ही समाज की सेवा है...।
जी हां... देहरादून की सीमा जावेद अपनी समाजसेवी के लिए पूरे देहरादून में जानी जाती है। जो पंजाब के "संत कृष्ण एकेडमी" की देहरादून शाखा के लिए काम करती है। आपको बता दूं, सीमा जावेद एक समाजसेवी के रूप में काम करती है। जैसे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बेटियों की शादी करना, घरेलू हिंसा के शिकार महिलाओं की मदद करना आदि। वैसे सीमा साल 2007 से समाजसेवा कर रही है। जो देहरादून की मुस्लीम बस्ती कारगी की रहने वाली है। सीमा जावेद एक सामान्य मुस्लीम परिवार से संबंध रखती है। जिनके पति फर्नीचर की दुकान चलाते है। सीमा एक पढ़ी - लिखी महिला है , जो उन महिलाओं के लिए काम करती है। जिनकी परिवारिक कहल और मारपीट के चलते रिश्ते टूट जाते हैं। उनकी सहायता करना सीमा अपना दायित्व समझती है। वहीं बिगड़े रिश्ते मनाना और परिवारिक कहल सुलझाना ही सीमा अपना धर्म समझती है। सीमा जावेद ने अबतक कई बिगड़े रिश्ते बनाये है, जो आज अपनी जिंदगी खुशी से जी रहे है। वैसे सीमा एक मुस्लीम महिला होने के नाते खुलकर अपनी जिंदगी जीने में विश्वास रखती है। जब हमने उनसे जानने की कोशिश की, कि तीन तालक और नमाज़ पर आप क्या कहेगी, तो सीमा जी का साफ कहना था। जब मेरा मन करता है, तब मैं नमाज पढ़ती हूं। सीमा जावेद, कुरान के बारे में कहती है, कि कुरान में कहीं भी तीन तलाक जायज नहीं बताया गया है। अगर तालक एक तरफा हो। ना ही कुरान हत्या के समर्थन में है और ना ही हमारे देश में कुरान सही तरीके से स्वीकार होता है। सीमा जावेद एक समाज सेवी ही नहीं, बल्कि बीजेपी पार्टी की नेता भी है। सीमा का मानना है, अगर आपको कुछ समाजसेवा करनी हो, तो आपको किसी ना किसी पार्टी से जुड़ना ही होगा। यह कहना है सीमा जावेद का..।।
सीमा ने समाजसेवा कर राजनीति में अपना कदम रखा। जो इस समय धर्मपुर की राजनीति से बीजेपी नेता है। कानपुर की रहने वाली बेटी सीमा एक सामान्य परिवार से संबंध रखती थी। लेकिन शादी हुई, एक आर्थिक कमजोर परिवार, देहरादून की गलियों में..। हिंदी से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री ली है, सीमा जावेद ने...।।
एक मुस्लीम महिला होने के नाते सीमा कहती है, कि मुस्लीम समाज में महिलाओं की स्थिति काफी दैनीय हैं। जो हमारे समाज के लिए एक चिंता की विषय है। वहीं सीमा का ये भी कहना था, कि मुस्लीम धर्मगुरू कुरान को अपनी पकड़ या अपने नियम जोड़ रहे है। जो साफ तौर पर गलत है। सीमा मानती है, उनका धन-दौलत ही लोगों की सहायता करनी हैं और राजनीति में आरोप - प्रतिरोप, विरोध स्वभाविक हैं। वहीं सीमा जावेद कहती है सरकार किसी की भी हो, लेकिन मिलकर काम करना चाहिए। जिससे समाज का भला हो सके..।
संपादक- दीपक कोहली.
एक मुस्लीम महिला होने के नाते सीमा कहती है, कि मुस्लीम समाज में महिलाओं की स्थिति काफी दैनीय हैं। जो हमारे समाज के लिए एक चिंता की विषय है। वहीं सीमा का ये भी कहना था, कि मुस्लीम धर्मगुरू कुरान को अपनी पकड़ या अपने नियम जोड़ रहे है। जो साफ तौर पर गलत है। सीमा मानती है, उनका धन-दौलत ही लोगों की सहायता करनी हैं और राजनीति में आरोप - प्रतिरोप, विरोध स्वभाविक हैं। वहीं सीमा जावेद कहती है सरकार किसी की भी हो, लेकिन मिलकर काम करना चाहिए। जिससे समाज का भला हो सके..।
संपादक- दीपक कोहली.
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